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कैंपस : सीआइएमपी में पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

आयोजन बी-हब, मौर्य लोक में आयोजित हुआ और विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विशेषज्ञों और युवाओं को एक साथ लाकर महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की गयी.

संवाददाता, पटना हरित प्रथाओं और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान पटना (सीआइएमपी) ने विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआइ) भारत के सहयोग से ‘टिकाऊ भविष्य के लिए नवाचारी समाधान: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया. यह आयोजन बी-हब, मौर्य लोक में आयोजित हुआ और विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विशेषज्ञों और युवाओं को एक साथ लाकर महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की गयी. प्रतिष्ठित वक्ताओं में सीआइएमपी के प्रैक्टिस प्रोफेसर प्रो विभाष कुमार, डब्ल्यूआरआई इंडिया के प्रोग्राम मैनेजर मणि भूषण झा, पीयूष त्रिपाठी शामिल थे. उन्होंने वैश्विक तापन, ऊर्जा उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की. त्रिपाठी ने कहा कि यूरोपीय संघ की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार अप्रैल 2024 वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म माह था. अब नयी टेक्नोलॉजी लाने की जरूरत है. अपने कार्यालयों में प्रकाश, हीटिंग और कूलिंग के लिए स्मार्ट प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना होगा. मणि भूषण झा ने कहा कि वर्तमान में बिहार की बिजली खपत प्रति वर्ष 300 किलोवाट घंटा है, जो राष्ट्रीय औसत 1200 किलोवाट घंटा से कम है, लेकिन यह प्रतिदिन बढ़ रही है. एसी बिक्री की प्रवृत्ति चार गुना बढ़ रही है, जिससे 2020 और 2070 के बीच बिजली की खपत में 8-16% की वृद्धि होगी. ऊर्जा संरक्षण क्षेत्र में व्यापार उद्यमों के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं. प्रो विभाष कुमार ने कहा कि भारत दुनिया के ताजे पेयजल का 4 प्रतिशत योगदान करता है, फिर भी इसका अधिकांश हिस्सा प्रदूषित है. आने वाले वर्षों में बिहार में सुरक्षित पेयजल तक पहुंच एक प्रमुख चुनौती होगी. ताजे पानी के पुन: उपयोग पर काम कर रहे स्टार्टअप्स की व्यापक संभावनाएं हैं. लोगों को एकल उपयोग प्लास्टिक से बचना, साइकिलिंग और पैदल चलने को बढ़ावा देना और खरीदारी के लिए कपड़े के बैग का उपयोग करना जरूरी है.

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