पटना : प्रदेश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू)की मदद और विभिन्न स्कीमों के तहत प्रदेश में 62 क्लस्टर्स शुरू हो रहे हैं. बिहार की नयी औद्योगिक पॉलिसी के तहत ऐसा किया जा रहा है़ कुछ क्लस्टर्स की शुरुआत हो चुकी है़ अगस्त माह में सभी क्लस्टर्स प्रभावी तौर पर उत्पादन शुरू कर देंगे़ अब तक की स्थिति में इन क्लस्टर्स में 3542 कुशल श्रमिकों को रोजगार मिलने जा रहा है.
ये वह क्लस्टर्स होंगे, जिसमें आत्मनिर्भरता और स्वेदशी के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा़ प्रभावी क्लस्टर्स बनाने में सबसे अव्वल जिलों में दरभंगा सबसे आगे, इसके बाद पूर्वी चंपारण, गया, कटिहार, समस्तीपुर व सीतामढ़ी जिले अग्रणी हैं. दरभंगा जिले में बहादुरपुर सेविंग क्लस्टर में 130, आश्रहा टेलरिंग क्लस्टर में 200 और सिंघवारा में कारपेंटेरी क्लस्टर में 250 कुशल श्रमिकों को रोजगार दिया जायेगा़ दरभंगा में इनके अलावा दो अन्य क्लस्टर्स और विकसित किये जा रहे हैं.
दरभंगा के बाद सबसे प्रभावी क्लस्टर्स समस्तीपुर में रोसेरा पूसा में वेज फ्रूट का है़ इसमें 520 लोगों को रोजगार मिला है़ इसी तरह सीतामढ़ी स्थित बैथनहा में रेडीमेड गारमेंट जरी लेदर क्लस्टर्स में 500 लोगों को रोजगार दिया जा रहा है.
पूर्वी चंपारण में सुगौली और कोटवा में क्रमश: रेडीमेड गारमेंट और वुडेन फर्नीचर क्लस्टर्स मिलकर 150 से अधिक कुशल श्रमिकों को रोजगार दे रहे हैं. इसी तरह गया में मानपुर भरगंवा कोंच में शहद निर्माण क्लस्टर में 40 और भदेजा रामपुर बोधगया में कंबल निर्माण के लिए विकसित क्लस्टर में 120 लोगों को रोजगार मिलेगा़ कटिहार जिले में कोधा और हंसराज में मखाना क्लस्टर विकसित किया जा रहा है.
पटना, औरंगाबाद, मधुबनी और सुपौल जिले ऐसे हैं, जहां अभी एक भी क्लस्टर चिह्नित नहीं किया गया है़ क्लस्टर डेवलपमेंट के लिहाज से रोजगार जेनरेट करने में ये जिले एक तरह से फिसड्डी साबित हुए हैं.