असम और मिथिला की संस्कृति में काफी समानता

विद्यापति भवन में चेतना समिति और सांस्कृतिक महासभा असम की तरफ से आयोजित असम-मिथिला महोत्सव के दूसरे दिन असम व मिथिला के संबंधो में सेमिनार का आयोजन किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | August 12, 2024 12:52 AM

लाइफ रिपोर्टर @ पटना विद्यापति भवन में चेतना समिति और सांस्कृतिक महासभा असम की तरफ से आयोजित असम-मिथिला महोत्सव के दूसरे दिन असम व मिथिला के संबंधो में सेमिनार का आयोजन किया गया. इतिहास डॉ रत्नेश्वर मिश्र ने दोनों भू भागों के ऐतिहासिक संबंधो पर कहा कि मिथिला में प्रचलित पूंजी प्रथा असम में भी प्रचलित थी. असम के कई रचनाकार विद्यापति से प्रेरणा लेकर अपनी रचना करते रहे हैं. मिथिला और कामरूप के भाषा साहित्यिक सरोकार के विषय में डॉ रामानंद झा रमण ने कहा कि दोनों भाषाओं की उत्पत्ति एक ही स्थान से हुई है व दोनों का उद्गम स्थल ब्राह्मी लिपि है. डॉ प्रवीण भारद्वाज ने कहा कि दोनों क्षेत्रों की संस्कृति में प्रचुर समानता है जो हर स्तर पर दृष्टिगोचर होता हैं. असम सांस्कृतिक महासभा के अध्यक्ष पवित्र कुमार शर्मा ने कहा कि हजारों सालों से अधिकांश लोग मिथिला को ही अपना पूर्वज मानते है और असम में मिथिला के प्रति बहुत आदर है. इस आयोजन के लिए उन्होंने चेतना समिति को धन्यवाद दिया. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोक अंचल की अनोखी छटा बिखेरी गयी. कलाकारों की तरफ से कामरुपिया लोकगीत, मिथिला वर्णन, विद्यापति रास नृत्य, कृष्ण सत्रिया नृत्य विहू नृत्य नचारी गीत, चौमासा नृत्य, असम व मिथिला के वाद्य-वृंद की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया.

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