’14 साल में मोदी जी देश और नीतीश जी बिहार बसा दिए क्या?’ राबड़ी देवी ने कहा- इतिहास बदला जा रहा…
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एनडीए सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए और नरेंद्र मोदी व नीतीश कुमार को निशाने पर लिया.
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी इन दिनों सुर्खियों में हैं. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के द्वारा उनपर की गयी टिप्पणी के विरोध में राजद कुनबा उतरा है और सदन के अंदर और बाहर भी इसे लेकर विरोध जताया गया है. इधर, राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई सह राजद नेता सुनील सिंह की विधान परिषद की सदस्यता खत्म कर दी गयी.
सरकार पर इतिहास बदलने का आरोप
मीडिया से बातचीत के दौरान राबड़ी देवी ने एनडीए सरकार को जमकर घेरा. इतिहास बदलने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कटाक्ष भी किया और पूछा कि अगर पहले की सरकार ने कुछ काम नहीं किया तो क्या 14 साल में ही नरेंद्र मोदी ने देश और नीतीश कुमार ने बिहार को बसा दिया.
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काली पट्टी बांधकर आए राजद के सदस्य
राबड़ी देवी ने विधानमंडल परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जतायी. सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि हमलोग काली पट्टी लगाकर आए हैं क्योंकि इतिहास को बदला जा रहा है. भाजपा और जदयू वाले नयी परंपरा शुरू कर रहे हैं और आने वाली पीढ़ी ये देखेगी.
क्या 14 साल में बिहार और देश बस गया?- राबड़ी देवी ने पूछा
राबड़ी देवी ने कहा कि नरेंद्र मोदी कहते हैं कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया तो क्या मोदी जी 14 साल में ही देश बसा दिए. नीतीश कुमार क्या अपने ही कार्यकाल में बिहार बसा दिए. हमलोग ऐसी परंपरा का विरोध करते हैं. वहीं भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को उन्होंने बधाई दी और कहा कि वो अच्छे आदमी हैं.
रोहिणी आचार्य ने माफी मांगने की मांग की
इधर, सारण लोक सभा से इंडिया एलायंस की पूर्व प्रत्याशी डॉ रोहिणी आचार्य ने जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर की गई अभद्र टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताया है. उन्होंने ललन सिंह और जदयू के शीर्ष नेतृत्व से माफी मांगने की मांग की है. उक्त जानकारी डॉ. रोहिणी के हवाले से जिला प्रवक्ता हरेलाल यादव ने बयान जारी कर दी. उन्होंने कहा कि जदयू को खुले मंच से बिहार की प्रथम महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से माफी मांगनी चाहिए. अन्यथा विपक्ष को सदन के अंदर और बाहर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.