पटना : राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे के बाद मनाने की कवायद शुरू हो गयी है. न्यूज एजेंसी ‘भाषा’ के मुताबिक, रघुवंश प्रसाद सिंह के नजदीकी केदार यादव ने राजधानी दिल्ली से फोन पर बताया कि उन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा है.
राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के नाम पूरा खत सिग्नेचर शैली में लिखा है. लिहाजा पार्टी ने मान लिया कि यह रघुवंश बाबू के हाथ से ही लिखा हुआ खत है. इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है.
रघुवंश बाबू के इस्तीफे वाली चिट्ठी सामने आने पर पार्टी के भीतर खलबली मच गयी. पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्र उन्हें मनाने के प्रयास का संकेत दिया है. पार्टी ने उनके इस्तीफे पर अभी प्रवक्ताओं को कुछ भी कहने से मना कर दिया है. संभवत: पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी दिल्ली जानेवाले हैं. पार्टी चुनाव के दौरान इस घटनाक्रम को सहज नहीं मान रही है.
रामा सिंह की पार्टी में एंट्री की आशंकाओं के बीच रघुवंश बाबू ने 23 जून को पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, राजद सुप्रीमो ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया. लालू प्रसाद ने खुद फोन लगाकर कई बार चर्चा की. तेजस्वी ने भी दिल्ली एम्स में जाकर उनसे मुलाकात भी की थी. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इन सब के बावजूद रामा सिंह की एंट्री मामले से पार्टी ने खुद को किनारा भी नहीं किया. यही नहीं पार्टी के कुछ नेताओं की तरफ यही संकेत दिये गये कि अभी रामा सिंह के आने पर पूर्ण विराम नहीं लगा है. लिहाजा पांच बार के सांसद डॉ रघुवंश ने पार्टी से किनारा करना ही उचित समझा.
रघुवंश बाबू ने अचानक अपने सहायक से कहा कि कागज लेकर आओ, कुछ लिखना है. आनन-फानन में उन्हें एक डायरी का पेज लाकर दिया गया. पेन मांगा और एक घंटे से अधिक सोच कर भी करवट लिये. लेटे-लेटे केवल चार लाइन लिखीं. इस दौरान वे भावुक दिखे.
रघुवंश बाबू की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आने के बावजूद खांसी पीछा नहीं छोड़ रही है. वे लगातार एम्स में इलाल के लिए बने हुए हैं. वे अपने फेफड़े की बीमारी का इलाज करा रहे हैं. उन्हें पूरी तरह ठीक होने में अभी समय लग सकता है.
रघुवंश बाबू के केवल चार वाक्यों के इस्तीफे के बाद राजद आलाकमान और नजदीकी लोग सन्न रह गये हैं. राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को हाथ से लिखे एक पत्र में रघुवंश प्रसाद सिंह ने लिखा है, ”मैं जननायक कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं.” उन्होंने पत्र में लिखा है, ”पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया। मुझे क्षमा करें.”