सीबीआई ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर उनके कार्यकाल 2004 से 2009 के दौरान जमीन-जायदाद लेकर ग्रुप-डी की नौकरी देने के मामले में एक नया मुकदमा दर्ज किया है. इस मामले में उनके 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गयी थी. इस मामले में मनी लॉड्रिंग से जुड़े कुछ तथ्य सामने आये हैं. हालांकि, अभी इस मामले की पूरी छानबीन चल रही है.
मनी लॉड्रिंग से जुड़े पूरे मामलों की आगे की जांच करने के लिए इस मामले की जांच इडी भी कर सकती है. इडी उसी तरह से इस मामले की जांच कर सकती है, जिस तरह से सीबीआई के स्तर से 2005 के रेलवे टेंडर घोटाले की जांच के आधार पर इडी ने सीबीआई की दर्ज एफआइआर के आधार पर इसीआइआर दर्ज कर समुचित जांच की थी.
इधर रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के आरोप वाले मामले को लेकर बिहार की सियासत भी गरमा गयी है. भाजपा सांसद सुशील मोदी ने राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी पर हमला करते हुए कह दिया कि उन्होंने भी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी और तत्कालिक प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. राजद नेता शिवानंद ने सुशील कुमार मोदी के उस बयान पर सवाल उठाये हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने 2008 में लालू प्रसाद पर जमीन के मामले का आरोप लगाया था.
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समाजवादी नेता ने कहा कि सवाल तो यह उठता है कि जब 2008 में लगे आरोप पर सीबीआई14 वर्षों तक क्यों सोयी रही? उसकी नींद तब क्यों खुली जब बिहार में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच जाति आधारित जनगणना कराने की सहमति बनी है.
शिवानंद तिवारी ने पूछा कि छापेमारी के लिए यह समय क्यों चुना गया ? शिवानंद ने बताया कि इसके दो स्पष्ट मकसद हैं. पहला उद्देश्य जाति आधारित जनगणना रोकना है. जातीय जनगणना के आधार पर वंचित समाज अपनी संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग करने लगेगा.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan