बिहार: राजभवन का शिक्षा विभाग पर पलटवार, अब राज्यपाल ने केके पाठक से मांगा जवाब

बिहार में उच्च शिक्षा में बेहतरी का प्रयास अब पूरी तरह वर्चस्व की लड़ाई में बदल चुका है. शिक्षा विभाग और राजभवन आमने सामने हैं. शिक्षा विभाग के अपर सचिव को फैसले पर कार्रवाई का ब्योरा देने के लिए राजभवन ने तलब किया है.

By Ashish Jha | March 12, 2024 8:06 AM

पटना. राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच टकराव कम होता नहीं दिख रहा है. शिक्षा विभाग ने बीते 28 फरवरी को पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रक का वेतन बंद किया था. साथ ही विश्वविद्यालय के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी थी. अब राजभवन ने पलटवार करते हुए इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को तलब किया है. राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ड एल चोंग्थू ने अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पत्र लिखा है.

शिक्षा विभाग ने कुलपतियों पर की थी कार्रवाई

दरअसल, शिक्षा विभाग ने 28 फरवरी को पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों का वेतन बंद किया था. इसके साथ ही विश्वविद्यालय के बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया था. इसके दो दिन बाद शिक्षा विभाग ने सभी कुलपतियों और कुलसचिवों पर केस दर्ज करने का आदेश भी जारी किया था, जिसके बाद 8 मार्च को राजभवन में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के समक्ष उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की उपस्थिति में शिक्षा विभाग के उक्त आदेश को वापस लेने का निर्णय लिया गया था. हालांकि शिक्षा विभाग की तरफ से इसको लेकर राजभवन को कोई जानकारी नहीं दी गई है.

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राजभवन ने मांगा कार्रवाई का ब्योरा

अब राजभवन इसी मामले में केके पाठक को तलब किया है. राजभवन ने शिक्षा विभाग से जवाब-तलब किया है कि राज्यपाल सह कुलाधिपति के समक्ष उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की मौजूदगी में लिए गये निर्णय के मुताबिक 28 फरवरी के आदेश को अब तक वापस लेने की कोई जानकारी क्यों नहीं दी गयी है. इसको लेकर राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ड एल चोंग्थू ने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि आठ मार्च को फैसला हुआ था कि 28 फरवरी को विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों को भेजी गयी चिट्टी को वापस लिया जाएगा, लेकिन अभी तक राज्यपाल सचिवालय को कोई जानकारी इस सबंध में नहीं दी गयी है. इसलिए बतायें कि उक्त निर्णय के आलोक में शिक्षा विभाग की तरफ से क्या कार्रवाई की गयी है.

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