पटना : 51 दिनों बाद मंगलवार को पहली राजधानी स्पेशल यात्री ट्रेन 1042 यात्रियों को लेकर राजेंद्र नगर से दिल्ली के लिए रवाना हुई. इनमें पटना जंक्शन से 856 यात्री सवार हुए. ट्रेन संख्या 02309 राजेंद्र नगर-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस पटना जंक्शन पर निर्धारित समय शाम 7:30 बजे पहुंची और 7:40 बजे दिल्ली के लिए रवाना हुई. यह ट्रेन मुगलसराय, इलाहाबाद व कानपुर स्टेशन पर रुकते हुए दिल्ली पहुंचेगी.
लेकिन, इन स्टेशनों पर यात्री चढ़ेंगे नहीं. इसकी वजह है कि ट्रेन के शत-प्रतिशत थर्ड, सेकेंड व फर्स्ट एसी की सीट राजेंद्र नगर व पटना जंक्शन से बुक की गयी है. इससे रास्ते में एक भी यात्री सवार नहीं हो सकेंगे. दो बजे से ही पहुंचने लगे थे यात्री, जंक्शन गोलंबर पर लगी भीड़ पहली यात्री ट्रेन में छपरा, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, सीवान आदि जिलों में फंसे लोग टिकट बुक कराया और यह यात्री दिन के दो बजे से ही आने लगे.
लेकिन, इन यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर आने नहीं दिया गया. इससे यह यात्री जंक्शन गोलंबर पर ही इंतजार करते रहे. चार बजे तक गोलंबर के चारों ओर यात्री और उनको छोड़ने आये लोगों की भीड़ बढ़ गयी. शाम पांच बजे से जंक्शन के इंट्री प्वाइंट पर लगाये गये बैरिकेडिंग खोला गया और दो लाइन में यात्रियों को खड़ा करा कर एक-एक यात्रियों की जांच के बाद प्लेटफॉर्म पर आने दिया गया. सोशल डिस्टेंसिंग का किया गया पूरा पालनप्लेटफॉर्म पर पहुंचे यात्रियों से सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कराया गया. इसको लेकर पूरे प्लेटफॉर्म पर हर कोच के समीप आरपीएफ व जीआरपी के जवान तैनात किये गये थे. यह जवान सर्कुलेटिंग एरिया से लेकर प्लेटफॉर्म तक एक-एक यात्रियों को नजर रखे थे. वहीं, जब तक प्लेटफॉर्म पर ट्रेन नहीं आयी थी, तब तक दो शाम चार बजे से जंक्शन पर तैनात थे रेलवे अधिकारीराजेंद्र नगर टर्मिनल पर रेल मंडल के एडीआरएम कंमान संभाले थे. वहीं, पटना जंक्शन का कमान जंक्शन के डायरेक्टर डॉ निलेश कुमार संभाले थे. वहीं, सुरक्षा को लेकर पूर्व मध्य रेल के आरपीएफ आइजी एस मयंक, आरपीएफ कमांडेंट संतोष सिंह राठौर व आरपीएफ इंस्पेक्टर विनोद कुमार सिंह भी प्लेटफॉर्म पर मौजूद थे. आये थे पदयात्रा करने, पर लॉकडाउन में फंस गये बापूदिल्ली में रहने वाले 73 वर्षीय बापू गांधी बिहार में नमक सत्याग्रह पर पदयात्रा कर लोगों को जागरूक करने पहुंचे थे.
उन्होंने पदयात्रा बेगूसराय जिले से शुरू कर लखीसराय, मुजफ्फरपुर व मोतिहारी में संपन्न की. लेकिन, लॉकडाउन की वजह से पदयात्रा को बीच में ही स्थगित कर दिया और छपरा के बैकुंठपुर गांव में एक समाजसेवी के घर पहुंच गये, जहां पिछले 51 दिनों से फंसे थे. सोमवार को जैसे ही यात्री ट्रेन की बुकिंग शुरू हुई, तो सेकेंड एसी में टिकट बुक करा लिया और मंगलवार को ट्रेन पकड़ने शाम 5:30 बजे जंक्शन पहुंच गये. उन्होंने बताया कि 12 जिलों में पदयात्रा करना था, लेकिन तीन-चार जिले में ही पदयात्रा पूरा किया. लॉकडाउन के दौरान बिहार में ही फंस गये, अब दिल्ली जा रहे है.
यात्रियों से बातचीत
बिहार के ही रहने वाले है. लेकिन, दिल्ली में पूरे परिवार के साथ रहते थे. गांव में शादी होने की वजह से दो दिनों के लिए अकेला पहुंचे थे. लॉकडाउन की वजह से गांव में ही फंस गये. पत्नी व बच्चे दिल्ली में ही है. गांव में फंसे होने से ज्यादा परेशानी नहीं हुयी. लेकिन, परिवान की चिंता हो रही थी.
मुश्ताक अली, छपरा
दिल्ली में नौकरी करते है. लेकिन, घर में कुछ आवश्यक काम होने की वजह से आना पड़ा और फिर लॉकडाउन में फंस गये. परिवार के बाकी सदस्य दिल्ली में ही है. एक सप्ताह की ही छूटी लेकर आये थे. लॉकडाउन के बाद कंपनी में सूचना दे दिया है. इसके बावजूद छूटी को लेकर डर अब तक लग रहा है. आखिर आगे क्या होगा. ट्रेन चाली तो टिकट बुक करा कर जा रहे है. रंजय कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर
दादा जी की मृत्यु की सूचना मिली, तो 15 मार्च को गांव पहुंचे. 23 मार्च को मगध एक्सप्रेस से लौटने के लिए टिकट भी बुक कराया था. लेकिन, 22 मार्च से ही ट्रेनों के परिचालन बंद है. इससे फंस गया. दिल्ली में बिजनस करते थे. इस दौरान सब कुछ चौपट हो गया.
सुशील कुमार, भोजपुर
दो दिनों के लिए माइके आयी थी. कुछ काम हो गया, तो पूरे परिवार के साथ आये थे. लेकिन, जिस दिन लौटना था, उसी दिन लॉकडाउन लागू हो गया. इससे डेढ़ महीने तक मायके में ही रहना पड़ा.
सविता मिश्रा, फरीदाबाद