Bihar: ‘लौंडा नाच’ वाले कलाकार पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन, भिखारी ठाकुर के सहयोगी के सफर को जानें…

बिहार के छपरा निवासी कलाकार पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन हो गया. भिखारी ठाकुर के सहयाेगी रहे रामचंद्र मांझी को लौंडा नाच के लिए जाना जाता था. उनके निधन से कला जगत में शोक है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2022 10:31 AM

बिहार के छपरा निवासी प्रसिद्ध लोक कलाकार रामचंद्र मांझी अब इस दुनिया में नहीं रहे. पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बुधवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. हार्ट ब्लॉकेज और इंफेक्शन की समस्या से जूझ रहे रामचंद्र मांझी को पद्म श्री अवार्ड से नवाजा गया था. वो भिखारी ठाकुर की नाट्य मंडली के सदस्य रहे और लौंडा नाच के लिए बेहद मशहूर थे.

‘लौंडा नाच’ को पहचान दिलाया, निधन

राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जा चुके रंगकर्मी रामचंद्र मांझी की तबीयत अचानक बिगड़ गयी थी. जिसके बाद उन्हें पटना के आइजीआइएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन बुधवार देर रात उनका निधन हो गया. रामचंद्र मांझी ने बिहार की लोक संस्कृति को एक अलग पहचान दी थी. ‘लौंडा नाच’ को उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर नयी पहचान दी थी.

भिखारी ठाकुर के सहयोगी रहे

रामचंद्र मांझी भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी रहे. महज 10 साल की उम्र में ही उन्होंने भिखारी ठाकुर को गुरु बनाकर स्टेज पर पांव रख दिया था. रामचंद्र मांझी को वर्ष 2017 में संगीत अकादमी अवार्ड से नवाजा गया. वहीं पिछले साल वर्ष 2021 में रामचंद्र मांझी को उनकी कला तथा योगदान हेतु ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था.

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‘लौंडा नृत्य’ को जानें

बताते चलें कि ‘लौंडा नृत्य’ बिहार के पुराने और बेहद प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है. इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहनकर नृत्य करता है. लौंडा नाच का आयोजन लोग किसी भी शुभ मौके पर अपने यहां कराते हैं. आज की बात करें तो समाज के बीच से अब लौंडा नृत्य हाशिए पर जा चुका है. अब गिने-चुने ही लौंडा नृत्य मंडलियां बची हैं, जो इस विधा को जिंदा रखे हुए है. वो भी बुरी हालत से ही गुजर रहे हैं.

आर्थिक तंगी से ही जूझे

रामचंद्र मांझी भी आखिरी दिनों में आर्थिक तंगी से ही जूझे. जब वो बीमार पड़े तो उनके इलाज के लिए खर्च जुटाना काफी मुश्किल हो गया था. पहले उनका इलाज छपरा के ही एक निजी क्लिनिक में चल रहा था. लेकिन वहां से जब बड़े अस्पताल में ले जाने की जरुरत महसूस हुई तो परिवार वालों ने बेहद असहाय महसूस किया.परिवार के ही लोग बताने लगे कि वो फिलहाल आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. मदद की गुहार लगाई तो जनप्रतिनिधि की मदद से पटना में भर्ती कराया गया था.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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