– रामगढ़ में राजद को ‘ए टू जेड’ की पार्टी साबित करने देनी होगी अग्निपरीक्षा संवाददाता,पटना बिहार की चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव में रामगढ़ सीट की सियासी लड़ाई सभी दलों के लिए ‘अग्निपरीक्षा’ साबित होने जा रही है. खासतौर पर राजद के लिए यह सीट सबसे अधिक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गयी है. इसकी दो खास वजहें हैं. अव्वल तो यह राजद की पुरानी सीट है. दूसरे यहां के राजद प्रत्याशी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं. इन सब वजहों से राजद के शीर्ष नेताओं की सबसे अधिक कैंपेनिंग यहीं होने की बात बतायी जा रही है.सियासी जानकारों के अनुसार इस सीट पर राजद के उस दावे की भी परख होगी, जिसमें वह अपने को ‘ए टू जेड’ की पार्टी कहती है. दरअसल इस सीट के जातीय समीकरण बेहद पेचीदा हो गये हैं. इस सीट पर राजद के राजपूत उम्मीदवार के विरोध में भाजपा ने भी राजपूत प्रत्याशी ही उतारा है. ऐसे में अपनी चुनावी वैतरणी पार लगाने के लिए राजद को अधिक- से- अधिक राजपूत वोटर्स में सेंध लगाने की चुनौती होगी. वहीं, इस विधानसभा क्षेत्र में दो बड़े अहम मतदाता समूह यादव और कुशवाहा हैं. जिनका अपना सियासी रसूख है. इसमें राजद को वोट हासिल करने होंगे. दरअसल पिछड़ों में यह दोनों जातीय समूह राजनीतिक रूप में बेहद आक्रामक और सधी राजनीतिक सोच के साथ मतदान के लिए चर्चित रहीं हैं. इनमें एक अहम मतदाता समूह यादव हैं. बसपा ने सबको चौंकाते हुए यहां से अपना प्रत्याशी यादव उतारा है. बसपा ने यहां एक तीर से दो निशाना साधा है. पहले तो दलित वोट के बड़े हिस्से में सेंध लगाकर राजद और भाजपा दोनों को बेचैन कर दिया है. दूसरा निशाना सीधे राजद पर साधा है, क्योंकि उसका उम्मीदवार राजद के कोर वोटर यादव जाति से है. उसे इस वर्ग के जितने भी वोट मिलेंगे, उससे राजद का नुकसान होगा. सियासी विश्लेषकों के अनुसार राजद के थिंक टेंक की सबसे बड़ी चुनौती इस सीट पर यादव मतदाता समूह को किसी तरह राजद से जोड़े रखने की होगी. इस सीट पर जन सुराज ने कुशवाहा प्रत्याशी उतारा है. यह वोटर भी राजनीतिक तौर पर अधिक जागरूक है. इसका वोटिंग ट्रेंड भी राजद और दूसरे दलों को चिंता में डाल सकता है.
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