बिहार राज्य के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में 23 सितंबर 1908 को जन्मे रामधारी सिंह दिनकर उन महान कवियों में से एक थे जिन्हें भारत ने देखा है. हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में रामधारी सिंह दिनकर ने अपने शब्दों से अभूतपूर्व योगदान दिया. उन्हें सबसे सफल और प्रसिद्ध आधुनिक हिंदी कवियों में से एक माना जाता है.
दिनकर जब दो साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था जो की किसान थे. उन्हें और उनके भाई-बहनों को उनकी माँ ने पाल कर बड़ा किया था. वर्ष 1928 में मैट्रिक के बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक किया, उसके बाद में उन्होंने संस्कृत, बंगाली, अंग्रेजी और उर्दू का भी अध्ययन किया.वह मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिंदी विभाग के प्रमुख थे और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम करते थे. उसके बाद उन्हें भारत सरकार का हिंदी सलाहकार बनाया गया.
उनकी पहली रचना ‘रेणुका’ 1930 के दशक के दौरान प्रकाशित हुई थी, जबकि तीन साल बाद जब उनकी रचना ‘हुंकार’ प्रकाशित हुई, तो देश के युवा उनके लेखन से चकित रह गए थे. उन्हें उनके काम ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिए 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और भारत सरकार द्वारा 1959 में पद्म भूषण प्राप्त किया था.
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कवि होने के साथ-साथ दिनकर एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे जो बाद में सांसद बने. 1952 में जब भारत की पहली संसद का गठन हुआ, तो वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए और दिल्ली चले गए. दिनकर की प्रसिद्ध पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ की प्रस्तावना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी है. इस प्रस्तावना में नेहरू ने दिनकर को अपना ‘साथी’ और ‘मित्र’ बताया है. 24 अप्रैल 1974 को 65 वर्ष की आयु में बेगूसराय में उनका निधन हो गया. हालाँकि, आज भी महान कवि को याद किया जाता है और सम्मानित किया जाता है.