रतन राजपूत ने पढ़िए क्यों कहा संघर्ष व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करना सिखाता है

रतन राजपूत ने कहा बचपन से ही डांस के प्रति मेरा रुझान था. पटना में जब मैं कॉलेज कर रही थी, उस वक्त मेरा जुड़ाव नाटकों से भी हो गया, लेकिन देखने में बहुत ही साधारण शक्ल सूरत की थी ,तो कभी जेहन में नहीं था कि एक्ट्रेस बनूंगी.

By RajeshKumar Ojha | November 17, 2024 7:01 AM

रतन राजपूत: कई बार आप सपने देखते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए आपको कई पड़ाव से गुजरना पड़ता है. टीवी इंडस्ट्री में अगर जाने का सपना देखते हैं, वह भी किसी सहारे के तो आपका स्ट्रगल यहीं से शुरू हो जाता है. रतन कहती हैं, संघर्ष ही व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करना सिखाता है.

जितना बड़ा संघर्ष होगा, सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी. ‘राधा की बेटियां कुछ कर दिखायेगी’, ‘अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो’, ‘महाभारत और संतोषी मां’ जैसे पॉपुलर शो का हिस्सा रही अभिनेत्री रतन राजपूत पटना से मुंबई तक के अपने अभिनय की जर्नी उससे जुड़े संघर्ष और अचीवमेंट पर प्रभात खबर के साथ साझा कीं. पेश है रतन राजपूत की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

Q. बिहार से जुड़ाव को आप किस तरह से परिभाषित करेंगी ?
– बिहार से मेरा जुड़ाव बहुत खास है. यह मेरा रूट है और सबको पता है कि बीज और संस्कार वही पड़ते हैं. बिहार में अपना बोध गया है. नालंदा है और उससे जुड़े पूर्वज भी हैं. इसमें अध्यात्म भी है. कला भी है और भी बहुत कुछ है, जो एक अच्छा कलाकार होने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान होने के लिए जरूरी है, तो मैं आज जो भी हूं. इसकी वजह से हूं.

Q. स्कूल में आप पढ़ाई में कैसी थीं,बचपन में क्या बनना चाहती थीं ?
– सच कहूं, तो मुझे बचपन में सिर्फ दुल्हन बनना था. उसके अलावा मेरी और कोई ख्वाहिश नहीं थी. दरअसल मैं पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी. अब समझ में आता है कि हर बच्चा खास होता है. टीचर को पहले बच्चों को पढ़ना चाहिए, फिर किताब को पढ़ाना चाहिए.

सब बच्चे एक तरह से नहीं होते हैं.आप सभी बच्चों को एक तरह से नहीं पढ़ा सकते हो. उस वक्त मेरे जो टीचर्स मुझे पढ़ते थे. मुझे कुछ समझ में नहीं आता था. हम लोग पांच बहने और एक भाई थे. सब झुंड में बड़े हो रहे थे. सब की पढ़ाई एक जैसी थी.

Q. एक्टिंग से आपका जुड़ाव कैसे हुआ ?
– बचपन से ही डांस के प्रति मेरा रुझान था. पटना में जब मैं कॉलेज कर रही थी, उस वक्त मेरा जुड़ाव नाटकों से भी हो गया, लेकिन देखने में बहुत ही साधारण शक्ल सूरत की थी ,तो कभी जेहन में नहीं था कि एक्ट्रेस बनूंगी.

कत्थक की ट्रेनिंग लेते हुए मैं मंडी हाउस जाने लगी. मेरी दुनिया मुझे मंडी हाउस में दिखी. बहुत ही कमाल के लोग वहां पर थे. मैंने पहला प्ले मुकेश छाबरा जी का देखा था, जिसमें वह अभिनय कर रहे थे.

उन्हें देखने के बाद से ही मैंने तय कर लिया कि मुझे डांस में नहीं, बल्कि एक्टिंग में जाना है. फिर मैं नाटक से जुड़ी. ऑडिशन देना शुरू किया. बहुत रिजेक्शन मिले. मुझे शुरुआत में रहने की समस्या आयी थी. मुंबई में सिंगल लड़की को घर नहीं देते हैं. कास्टिंग काउच का शिकार होते होते बची, लेकिन मैं डरी नहीं. हिम्मत भी नहीं हारा अपना संघर्ष जारी रखा. 

Q. क्या बिहार की होने की वजह से आपके एक्सेंट को लेकर भी रिजेक्शन मिला है या छोटा महसूस करवाया गया है ?
–  बिहार से होना मेरे लिए हमेशा प्लस पॉइंट की तरह रहा है. मैं ऐसा सोचती थी मुझ पर इतना ध्यान क्यों दिया जा रहा है. फिर मुझे लोग मेरे बातचीत के टोन से जानने लगे.

Q. आपने एक्टिंग से लम्बे समय से ब्रेक ले लिया था इसके बारे में बताएं साथ ही अपकमिंग क्या खास है?
– मेरे पापा 2018 में हमें छोड़ कर चले गये. उस वक्त मैंने शो संतोषी मां खत्म किया था.मुझे बहुत सारे ऑफर्स आ रहे थे ,लेकिन नहीं ले सकती थी क्योंकि मेरे पिता की मौत की वजह से मैं टूट चुकी थी और मैं बीमार भी थी. जिस वजह से मुझे एक्टिंग से ब्रेक लेना पड़ा. अभी मैं इंडियन साइकोलॉजी की पढ़ाई कर रही हूं.

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