सुबोध कुमार नंदन: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयमेन सह भारतीय उद्योग जगत के महामानव माने जाने वाले पद्म विभूषण रतन टाटा (Ratan Tata) का निधन बीती रात हो गया. मुंबई के अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. स्वर्गीय रतन टाटा का पटना से भी गहरा रिश्ता था. यह रिश्ता उनके दादा रतन जी टाटा के समय था. रतन टाटा तीन बार पटना आए थे.
सीएम नीतीश के साथ हुई थी बैठक, 30 साल पहले के दौरे को बताया था
राष्ट्रीय निवेश आयोग के अध्यक्ष के रूप में सितंबर 2006 में वो पटना आए थे. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार के साथ 4 घंटे तक बैठक चली थी. टाटा ने कहा था कि आयोग बिहार की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है. उस समय टाटा ने बताया था कि पटना की उनकी आखिरी यात्रा 30 साल पहले की थी. जब वह जमशेदपुर में केस लड़ने के सिलसिले में आए थे. वह केस उन्होंने जीत लिया था. बताया था कि इस बार लंबे समय के बाद पटना आया हूं.
दादा के समय से बताया था पटना से रिश्ता
उन्होंने बताया था कि पटना से मेरा रिश्ता हमसे ही नहीं मेरे दादा के वक्त से है. रतन जी टाटा ने सन 1912-13 में पाटलिपुत्र को खोजने के लिए आर्थिक मदद का जिम्मा उठाया था. पुरातत्व महानिदेशक से राय विचार करने के बाद रतन जी टाटा ने यह वादा किया कि वह इस खोज के लिए हर साल ₹20000 की सहयोग राशि देंगे. इसी अभियान के तहत कुम्हरार में हुई खुदाई में महान सम्राट अशोक के सभा भवन के खंभे मिले थे.
जब रतन टाटा जमशेदपुर से पटना आए
उनके इसी सहयोग के कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पाटलिपुत्र की खोज करने में मदद मिली. सर रतन जी टाटा ने इस खोज के लिए 75000 रुपए का योगदान दिया था. बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में रतन टाटा जमशेदपुर से पटना आए थे. उनके साथ जेजे ईरानी जी साथ में आए थे. चेंबर की ओर से 5-6 सदस्य उनके स्वागत में पटना एयरपोर्ट गए थे.
रतन टाटा एयरपोर्ट से गये थे सीएम हाउस
चैंबर के पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि एयरपोर्ट पर हवाई जहाज के विंडो से जेजे ईरानी ने मजाकिया लहजे में कहा था रतन टाटा नहीं आए हैं. लेकिन चंद मिनट बाद रतन टाटा हवाई जहाज से बाहर निकले. जिस हवाई जहाज से रतन टाटा उतरे थे वह सामान्य से छोटा था. हवाई अड्डा से वे सीधे सीएम हाउस चले गए. पीके अग्रवाल ने बताया कि जेजे ईरानी चेंबर के विशेष बैठक में भाग लेने आते थे.