पहले से लगे लिफ्ट और एस्कलेटर का रजिस्ट्रेशन छह माह के अंदर करना अनिवार्य
किसी दुर्घटना से हुई क्षति की भरपायी के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का किया गया है प्रावधान
संवाददाता,पटनाअब राज्य में बिना रजिस्ट्रेशन के लिफ्ट और एस्कलेटर संचालित नहीं हो सकेंगे. राज्य के सभी भवनों एवं प्रतिष्ठानों में पहले से लगे और भविष्य में लगने वाले लिफ्ट और एस्कलेटर का विद्युत निरीक्षणालय से रजिस्ट्रेशन किया जाना अनिवार्य होगा. बुधवार को विधानसभा ने इससे संबंधित बिहार लिफ्ट एवं एस्कलेटर विधेयक, 2024 पारित कर दिया. इससे पहले ऊर्जा और योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इन नियम का पालन नहीं करने वालों को तीन माह तक का कारावास या 50 हजार का जुर्माना या दोनों दंड मिल सकते हैं. इस अधिनियम के अधीन नियुक्त निरीक्षक द्वारा किये गये परिवाद के अलावा कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान नहीं ले सकेगा.
किसी दुर्घटना से हुई क्षति की भरपायी के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का किया गया है प्रावधानमंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इसमें मोटरवाहन की तरह आमजन की सुरक्षा के लिए लिफ्ट और एस्कलेटर के उपयोग के क्रम में किसी दुर्घटना से हुई क्षति की भरपायी के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रावधान किया जाना होगा. इससे किसी प्रकार की दुर्घटना, चोट या अपंगता की स्थिति में बीमा के नियमों के तहत पीड़ित व्यक्तियों का समुचित इलाज हो सकेगा. साथ ही आर्थिक नुकसान की भरपायी की जा सकेगी.
पहले से लगे लिफ्ट और एस्कलेटर का रजिस्ट्रेशन अधिनियम के प्रभावी होने के छह माह के अंदर करना अनिवार्यमंत्री ने कहा कि पहले से लगे लिफ्ट और एस्कलेटर का पंजीकरण इस अधिनियम के प्रभावी होने के छह माह के अंदर कराया जाना होगा. यही नहीं हर तीन वर्ष में इसका आवधिक निरीक्षण कराना होगा. निरीक्षण कार्य विद्युत निरीक्षणालय या सरकार द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति या एजेंसी द्वारा किया जा सकेगा.
मंत्री ने बताया कि लिफ्ट और एस्कलेटर के संचालन के क्रम में देश के विभिन्न स्थानों में घटित या संभावित दुर्घटनाओं को देखते हुए इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए भारत सरकार के उपभोक्ता मामले के विभाग द्वारा लिफ्ट और एस्कलेटर अधिनियम के निरूपित किये जाने के लिए राज्यों से अपेक्षा की गई है.लिफ्ट और एस्कलेटर का जीवनकाल 20 वर्षों का होगा
बिहार में लिफ्ट व एस्कलेटर पर प्रभावी नियंत्रण और इसके सुरक्षात्मक उपायों के लिए अब तक कोई प्रशासनिक तंत्र विकसित नहीं था. इससे सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इन मशीनरी व उपकरणों के सही संचालन के लिए प्रभावी निगरानी रखने में परेशानी हो रही थी. इससे आपात स्थिति में तय मानकों के अनुसार स्वचालित बचाव उपकरण और आपातकालीन बचाव उपकरण की उपलब्धता भी सुनिश्चित नहीं हो पा रही थी.इन दिनों राज्य में अधिष्ठापित लिफ्ट और एस्कलेटर की अनुमानित संख्या लगभग 10 हजार है. इनके लिए प्रति अधिष्ठापन दो हजार रुपए देने होंगे.इसके अलावा तीन वर्षों पर आवधिक निरीक्षण के लिए 1875 रुपए देने होंगे. किसी भी लिफ्ट और एस्कलेटर का जीवनकाल 20 वर्षों का होगा. 20 वर्षों के बाद इसे बदलना होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है