पोषण पुनर्वास केंद्र की व्यवस्था कुपोषण की शिकार
मसौढ़ी अनुमंडल हास्पिटल में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापना के करीब छह साल बाद भी अपने उद्देश्य की पूर्ति से दूर है.
मसौढ़ी. मसौढ़ी अनुमंडल हास्पिटल में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापना के करीब छह साल बाद भी अपने उद्देश्य की पूर्ति से दूर है. इसके लिए हास्पिटल प्रबंधन से लेकर आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ता जिम्मेवार है. इनके जिम्मे कुपोषित बच्चों को चिन्हित करते हुए उसे लाकर यहां भर्ती कराने की जिम्मेवारी होती है, लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है. इससे अनुमंडल हास्पिटल में स्थापित कुपोषण मिटाने की व्यवस्था ही कुपोषण का शिकार हो गयी है. गरीबी, अशिक्षा के चलते विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार उपलब्ध नहीं होने से उनकी होने वाली संतान कुपोषण की शिकार हो रही है. आइसीडीएस द्वारा कुपोषित बच्चों को रेफर नहीं किया जाता है, जिससे पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. नतीजतन हर महीने बच्चों के लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. नियमानुसार आंगनबाडी केंद्र पर आने वाले बच्चों में कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है. फिर उसे पोषण पुनर्वास केंद्र रेफर किया जाना है.
20 बेड का है पोषण पुनर्वास केंद्रअनुमंडल हास्पिटल में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बेड बना है. जहां कुपोषित बच्चों के साथ उसके मां को भी निर्धारित समय के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रहना होता है. यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में बच्चों के साथ उसके मां का ख्याल रखा जाता है. साथ ही निर्धारित समय के साथ-साथ नाश्ता, भोजन, दवा आदि दी जाती है. औसतन पांच से सात बच्चे यहां हमेशा रहते हैं. इसके लिए हास्पिटल के तरफ से भी कोई प्रचार प्रसार नहीं किया जाता. खुद से अगर कुपोषित बच्चे आ गये तो ठीक नहीं तो अपना ठीकरा आंगनबाड़ी सेविका व अन्य पर फोड़ देने का आरोप लगता रहा है.
उपाधीक्षक डाॅ संजिता रानी ने बताया कि हमारे यहां पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है. सभी सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं. लेकिन आइसीडीएस विभाग का समुचित सहयोग नहीं मिलने के कारण बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. ओपीडी में जांच के दौरान कुपोषित बच्चे मिलने पर उसे भर्ती किया जाता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है