Repubic Day 2021: राजपथ पर ब्रह्मोस मिसाइल दस्ते को लीड करेंगे बिहार के लाल, जानें भारतीय सेना में तैनात कैप्टन मो. कमरूल जमां के बारे में

इस गणतंत्र दिवस(Republic Day 2021) पर नयी दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड में ब्रह्मोस मिसाइल दस्ते का नेतृत्व बिहार के मूल निवासी कैप्टन मो. कमरूल जमां करेंगे. दुनिया भर में अपनी मारक क्षमता के लिए मशहूर ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को लीड कर कैप्टन जमां बिहार का नाम देश भर में रोशन करेंगे. परेड में देश भर की निगाहें इस मिसाइल पर रहेंगी. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से 2018 में पास आउट होने के बाद वह अभी भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर हैं. इन दिनों थल सेना की मिसाइल रेजिमेंट में तैनात हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 24, 2021 6:23 AM

इस गणतंत्र दिवस(Republic Day 2021) पर नयी दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड में ब्रह्मोस मिसाइल दस्ते का नेतृत्व बिहार के मूल निवासी कैप्टन मो. कमरूल जमां करेंगे. दुनिया भर में अपनी मारक क्षमता के लिए मशहूर ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को लीड कर कैप्टन जमां बिहार का नाम देश भर में रोशन करेंगे. परेड में देश भर की निगाहें इस मिसाइल पर रहेंगी. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से 2018 में पास आउट होने के बाद वह अभी भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर हैं. इन दिनों थल सेना की मिसाइल रेजिमेंट में तैनात हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.

सीतामढ़ी जिले के राजा नगर तलखापुर गांव के रहने वाले

कैप्टन मो. कमरूल जमां सीतामढ़ी जिले के राजा नगर तलखापुर गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम गुलाम मुस्तफा खान है जो सीतामढ़ी में ही बिजनेसमैन हैं. स्कूली शिक्षा सीतामढ़ी उच्च विद्यालय से पूरी करने के बाद कैप्टन जमां ने सेना में एक जवान के रूप में ज्वाइन किया था. 2012 में वह आर्मी मेडिकल कोर में भर्ती हुए थेे. इसके बाद आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज पुणे से बी.फार्मा का कोर्स पूरा किया. फिर आर्मी कैडेट कॉलेज कमीशन पास कर सेना में अधिकारी बनने में कामयाब रहे.

आवाज से तीन गुणी अधिक है ब्रह्मोस की गति

कैप्टन जमां ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम दुनिया का पहला सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम है. इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक है जो तीव्र गति के साथ दुश्मन को निशाना बना सकती है. यह दुनिया के सबसे घातक और शक्तिशाली हथियारों में से एक है जो कि भारत के पास है. इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है. इसकी गति अावाज से तीन गुणी अधिक है.

देश सेवा के जज्बे के साथ सेना से जुड़े कैप्टन जमां

कैप्टन मो. कमरूल जमां ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि बचपन से देश की सेवा करने की इच्छा थी. सैन्य बलों का अनुशासन और देश सेवा की भावना देख कर प्रभावित होता था. बचपन में ही ठान लिया था कि सेना में जाना है. इसी सोच के साथ 12वीं करने के तुरंत बाद सेना ज्वाइन कर लिया. गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड में ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम दस्ते को लीड करने का अवसर मेरे लिए गर्व की बात है. मेरे लिए सबसे पहले और सबसे बढ़कर देश सेवा है.

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