संवाददाता, पटना डिफॉल्टर या बंद पड़ी रियल इस्टेट परियोजनाओं के मामले में आवंटियों की राशि लौटाने के लिए बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) अब जिला प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार नहीं करेगा. प्राधिकरण के स्तर पर ऐसे मामलों में दोषी बिल्डर की तमाम संपत्तियों की पहचान करते हुए उनका वैल्यूएशन होगा. फिर इन संपत्तियों की नीलामी कर आवंटियों के बीच निश्चित अनुपात में उसका वितरण सुनिश्चित किया जायेगा. इसको लेकर बिहार रेरा ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय कर दी है. डीएम, डीटीओ से लेकर इनकम टैक्स से ली जायेगी रिपोर्ट : तय एसओपी के मुताबिक डिफॉल्टर प्रमोटर की परिसंपत्तियों का पता लगाने के लिए रेरा सबसे पहले रजिस्ट्रेशन के समय उनके द्वारा दिये गये कंपनी, निदेशक व भागीदारों की पहचान करते हुए उनकी संपत्ति का विवरण तैयार करेगा. इसके लिए आयकर विभाग, संबंधित बैंक और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को पत्र लिख कर कंपनी से जुड़ी जमा राशि, सरकारी प्रतिभूतियां, ऋण, शेयर, बांड पेपर आदि का पता लगाया जायेगा. इसके साथ ही डीएम से अचल संपत्तियों का ब्योरा और डीटीओ से उन संस्थाओं के नाम पर वाहनों का विवरण मांगा जायेगा. समाचार पत्र में सार्वजनिक नोटिस कर भी जानकारी ली जायेगी. दूसरे चरण में वैल्यूएशन कर राशि वसूली की होगी कार्रवाई इसके दूसरे चरण में संपत्तियों का वैल्यूएशन करते हुए उनकी जब्ती व बिक्री कर राशि वसूली की कार्रवाई होगी. इसके लिए संबंधित प्रोमोटर या उस परियोजना से लाभान्वित हो रहे पार्टनर, फर्म, ट्रस्ट आदि के बैंक खाते को फ्रीज करके जब्ती की कार्रवाई होगी. इसके बाद प्रोमोटरों की चल-अचल संपत्तियों की नीलामी कर पैसे जमा किये जायेंगे. यह राशि उस परियोजना के सभी आवंटियों को किस्तों में दी जायेगी, जिन्होंने प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज कराया है या जिनके पक्ष में प्राधिकरण ने राशि वापसी का आदेश पारित किया है. प्राधिकरण में शिकायत दर्ज नहीं कराने वाले अन्य आवंटियों की पहचान के लिए सार्वजनिक सूचना जारी की जायेगी. ऐसे मामले में आवंटियों को भुगतान साक्ष्य के साथ दावा पेश करना होगा. जिन मामलों में प्राधिकरण के स्तर पर धनराशि वापसी को लेकर आदेश पारित किया गया है, उन आवंटियों का इस राशि पर पहला अधिकार होगा. पहली किस्त में केवल मूल राशि मिलेगी नीलामी से मिलने वाली राशि की पहली किस्त से परियोजना के शिकायतकर्ता आवंटियों को केवल मूल राशि ही वितरित की जायेगी. यह बुकिंग के लिए आवंटियों द्वारा प्रोमोटर को भुगतान की गयी वास्तविक राशि होगी. मूल राशि का भुगतान आनुपातिक आधार पर किया जायेगा. यदि शिकायतकर्ता आवंटियों के बीच वितरण के बाद एकत्रित राशि बचती है, तो दूसरी किस्त में आनुपातिक रूप से ब्याज का भुगतान किया जायेगा.
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