RERA ने आवंटियों की सुरक्षा के लिए उठाया कदम, विलंब प्रोजेक्ट को डबल रजिस्ट्रेशन से कर सकते हैं नियमित
रेरा एक्ट के मुताबिक किसी प्रोजेक्ट की निर्धारित अवधि खत्म होने के बाद उस पर प्रमोटर का अधिकार खत्म हो जाता है. ऐसे मामलों में प्रोजेक्ट के बचे कार्य को पूरा करने के लिए रेरा अथॉरिटी राज्य सरकार से सलाह लेकर उसे पूरा कराती है.
बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथाॅरिटी (रेरा) ने आवंटियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्धारित समय से अधिकतम दो साल तक विलंब हो चुकी परियोजनाओं को नियमित करने का एक मौका प्रमोटरों को दिया है. हालांकि इसके लिए उनको रजिस्ट्रेशन शुल्क की दोगुनी राशि का भुगतान करना होगा. बिहार रेरा ने ‘ सामान्य माफी योजना ‘ नामक इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है.
साल भर बाद भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं सका
रेरा एक्ट के मुताबिक किसी भी प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के समय उसके पूर्ण होने की अवधि बताना अनिवार्य है. अगर किसी कारणवश निर्धारित अवधि में परियोजना पूर्ण नहीं हुई तो अवधि समाप्त होने के तीन महीने पहले तक अधिकतम एक साल के लिए अवधि बढ़ाने का आवेदन कर सकता है. कोरोना अवधि के दौरान केंद्र सरकार ने अवधि विस्तार में नौ महीने तक सामान्य माफी दी थी. मगर इस सामान्य माफी के साल भर बाद भी बड़ी संख्या में ऐसे प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सके हैं. इसको देखते हुए रेरा ने विलंब दंड के साथ प्रमोटरों को एक और मौका दिया है.
अवधि विस्तार नहीं होने पर खत्म हो जायेगा प्रमोटर का अधिकार
रेरा एक्ट के मुताबिक किसी प्रोजेक्ट की निर्धारित अवधि खत्म होने के बाद उस पर प्रमोटर का अधिकार खत्म हो जाता है. ऐसे मामलों में प्रोजेक्ट के बचे कार्य को पूरा करने के लिए रेरा अथॉरिटी राज्य सरकार से सलाह लेकर उसे पूरा कराती है. अधिकारियों के मुताबिक जिन मामलों में प्रोजेक्ट लगभग पूरा हो चुका है, प्रमोटर का अधिकार खत्म होने से आवंटियों के हित और प्रोजेक्ट की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसको ध्यान में रखे हुए यह निर्णय लिया गया है.
शिकायत वाली परियोजनाओं को नहीं मिलेगी अनुमति
हालांकि रेरा ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ उन्हीं प्रोजेक्ट को विस्तार मिलेगा, जिनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की गयी है. उन्हें एक लाख रुपये की निर्धारित फीस के साथ प्रति तिमाही 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क के साथ फॉर्म ‘ इ ‘ में विस्तार के लिए आवेदन ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इस प्रकार प्रमोटर को दूसरे वर्ष के अंत तक पंजीकरण शुल्क का दोगुना जमा करना होगा. हालांकि जिस प्रोजेक्ट विस्तार के खिलाफ शिकायत दर्ज है, उन मामले में अंतिम आदेश पारित होने तक अनुमति नहीं दी जायेगी.