जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का अनुसंधान : कोरोना ने संक्रमण के लिए 198 बार बदला अपना रूप, बिहार में कोई बदलाव नहीं

देश में मार्च से मई के बीच कोरोना वायरस ने भारतीय वातावरण में खुद को प्रभावी बनाने के लिए 198 बार अपने स्वरूप में बदलाव किया. विज्ञान की भाषा में इन बदलावों को वेरिएंट कहा जाता है

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2020 5:37 AM

पटना : देश में मार्च से मई के बीच कोरोना वायरस ने भारतीय वातावरण में खुद को प्रभावी बनाने के लिए 198 बार अपने स्वरूप में बदलाव किया. विज्ञान की भाषा में इन बदलावों को वेरिएंट कहा जाता है. सबसे ज्यादा बदलाव दिल्ली,गुजरात,तेलंगाना,महाराष्ट्र और कर्नाटक में देखे गये, पर बिहार में कोई बदलाव नहीं दिखा. जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के ताजातरीन अनुसंधान में यह उजागर हुआ है. जूलॉजिकिल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक कैलाश चंद्र ने इस बात की पुष्टि की है.

जानकारी के मुताबिक बिहार में कोरोना वायरस के गुणधर्म में कोई बदलाव नहीं आया है. जीव विज्ञानियों के मुताबिक किसी भी वायरस या जीव के जीन के डीएनए में जब कोई स्थायी परिवर्तन होता है तो उसे बदलाव या (म्यूटेशन) कहते हैं. इस तरह के बदलाव कोशिका विभाजन या पराबैंगनी विकिरण की वजह से भी संभव है. सभी वायरस समय के साथ बदलते रहते हैं.

ज्यादा लिंक वुहान और यूरोप से

अध्ययन दल के मुख्य वैज्ञानिक ठाकुर ने बताया कि भारत में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा लिंक वुहान और यूरोप से है. खाड़ी देशों के जीनोमी सीक्वेंस भारत में ज्यादा नहीं है. उल्लेखनीय है कि यह अनुसंधान सेंटर फॉर डीएनए टैक्सोनॉमी के सात सदस्यीय विज्ञानियों ने किया है. अध्ययन दल के विज्ञानी भीम जोशी ने बताया कि नार्थ इस्ट में सबसे कम केस हैं.समूची कवायद भारतीय वन एवं पर्यावरण विभाग के मार्गदर्शन में की गयी. उल्लेखनीय है कि भारत का पहला कोरोना का मामला एक मेडिकल स्टूडेंट का था, जो वुहान से लौटा था.

डेटाबेस में 37,000 से अधिक जीनोम

जूलॉजिकिल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता स्थित विंग सेंटर फॉर डीएनए टैक्सोनॉमी के चीफ साइंटिस्ट मुकेश ठाकुर ने बताया कि जीआइएसएआइडी के ग्लोबल डेटाबेस में मौजूद भारत के 550 जीनाेम समूहों में से 400 के अध्ययन और विश्लेषण पर आधारित हैं. किसी भी जीव के डीएनए में मौजूदा सभी जीनों का अनुक्रम को जीनोम कहा जाता है. इसी के माध्यम से जीवों के गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचते हैं.

उल्लेखनीय है कि ग्लोबल डाटा बेस में 2 जून तक डेटाबेस में 37,000 से अधिक जीनोम हैं.कोरोना वायरस के म्यूटेशन यानी बदलाव का अध्ययन करने वाले विज्ञानी अभिषेक सिंह ने बताया कि बलदाव को डी614जी के रूप में चिन्हित किया गया है. इसके अलावा और भी बदलाव पहचाने गये हैं. दिल्ली में यह बदलाव या वैरिएंट की संख्या 39, गुजरात में 60, तेलंगाना में 55,महाराष्ट्र और गुजरात में 15-15 चिन्हित किये गये हैं.

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