हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए संघर्ष का संकल्प
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 106वें स्थापना दिवस और 43वें महाधिवेशन का सफल समापन रविवार को हुआ.
संवाददाता, पटना बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 106वें स्थापना दिवस और 43वें महाधिवेशन का सफल समापन रविवार को हुआ. इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर और अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने 73 हिंदी सेवियों को सम्मानित किया. सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि ”विद्या वाचस्पति” प्रो महेंद्र मधुकर को दी गयी. समारोह में डॉ ओम प्रकाश पांडेय की पुस्तक ”भारतीय संस्कृति के विविध आयाम” और डॉ नम्रता कुमारी की ”थारु जनजाति की धार्मिक मान्यताएं” का विमोचन हुआ. समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा बनायी जाये, इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को भी पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र प्राप्ति की पुष्टि भी हुई है और यह भी बताया गया है कि यह प्रस्ताव सकारात्मक है. वहीं, चौथे सत्र में ”विश्व बंधुत्व की अवधारणा और भारत” विषय पर चर्चा हुई, जिसमें प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित और डॉ जसबीर चावला ने अपने विचार प्रस्तुत किये. अंतिम सत्र ”साहित्य के नये प्रश्न” में कई विद्वानों ने विचार साझा किये. महाधिवेशन का समापन एक भव्य कवि सम्मेलन के साथ हुआ, जिसमें 50 से अधिक कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं. इस महाधिवेशन ने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्यिक योगदान को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है