बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर फिर एकबार सियासत गरमा गयी है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस मामले में जदयू का साथ देने की बात करते हुए भाजपा पर निशाना ही नहीं साधा बल्कि इशारे ही इशारे में सरकार में साथ देने की बात भी कह दी. इस बीच प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने खरमास के बाद बिहार की सियासत में ‘खेला होने’ के दावे कर दिये. राजद के इस बयानबाजी से सियासत तो गरमायी है लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है ये जानने के लिए उन दावों को भी टटोलना जरुरी दिखता है जो इससे पहले किये जाते रहे….
जातिगत जनगणना को लेकर एनडीए में भाजपा अलग लकीर पर चल रही है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि जातिगत जनगणना नहीं करायी जाएगी. लेकिन बिहार में विपक्षी पार्टियां ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित एनडीए के अन्य घटक दल भी जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में हैं. पहले बिहार भाजपा भी इसके पक्ष में रही लेकिन अब पार्टी ने इससे खुद को किनारे कर लिया है और केंद्र के निर्णय के साथ खड़ी दिख रही है.
राजनीतिक मामले के जानकारों की मानें तो जातिगत जनगणना में भाजपा और जदयू को आमने-सामने देख राजद ने इसका सियासी फायदा उठाना शुरू कर दिया है. गुरुवार को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने नीतीश कुमार को इस राज्य हित में साथ देने की बात कही और उन मंत्रियों पर एक्शन लेने को कहा जो इसके खिलाफ हैं. जगदानंद सिंह ने ये तक कह दिया कि सरकार पर इसका असर नहीं पड़ेगा और ऐसी नौबत आयी तो राजद साथ रहेगी, सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ठीक उसके बाद मृत्युंजय तिवारी ने खरमास के बाद खेला होने का दावा कर दिया.
सियासी जानकार बताते हैं कि राजद के दावे में कितना दम है ये कहना इसलिए मुश्किल है क्योंकि इससे पहले भी खरमास के बाद खेला होने और 15 अगस्त को तेजस्वी यादव के द्वारा गांधी मैदान में झंडा फहराने के दावे किये जाते रहे हैं. बता दें कि राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कभी ये दावा किया था कि बिहार एनडीए में खेला हो गया है और तेजस्वी ही 15 अगस्त को गांधी मैदान में झंडा फहराएंगे. लेकिन ये दावे खोखले साबित हुए थे .
जनवरी 2021 की हलचल की बात करें तो ऐसा ही माहौल बना था. पिछले विधानसभा उपचुनाव की बात करें तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के तरफ से भी ये दावे सामने आए थे कि बिहार में वो तेजस्वी की सरकार बनवा देंगे. उनके पास सभी गणित मजबूत है. लेकिन चुनाव के बाद तमाम दावे दब गये. हालांकि दोनों सीटों पर राजद की हार हुई थी. लेकिन इस बार भी अब जब इस तरह के दावे करने शुरू हुए हैं तो देखना दिलचस्प होगा कि राजद इसबार खुद को कितना ठोस साबित कर पाती है.
Published By: Thakur Shaktilochan