बिक्रमगंज (रोहतास) / जहानाबाद / पटना : कश्मीर के बारामुला सेक्टर में आतंकी हमले में रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित घुसियकलां निवासी सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान और जहानाबाद जिले के रतनी प्रखंड के अईरा गांव निवासी लवकुश शर्मा शहीद हो गये हैं. बिहार के दोनों जवानों की शहादत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि शहीदों के बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा.
कश्मीर के बारामुला सेक्टर में आतंकी हमले में रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित घुसियकलां निवासी सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान शहीद हो गये. इसकी सूचना मिलते ही शहीद के घर में मातमी सन्नाटा पसर गया. शहीद होने की जानकारी होते ही लोगों की भीड़ उनके घर के पास जमा हो गयी.
शहीद जवान के सबसे छोटे भाई मुर्शिद खान ने बताया कि सोमवार को 9:30 बजे मुझे फोन कर बड़े भाई खुर्शीद खान घर का हालचाल ले रहे थे. पूछा कि वहां सब खैरियत है ना. मैंने बताया कि हां यहां सब खैरियत है. आप अपना ख्याल रखना.
उधर से फोन जैसे ही कटा तभी एक गोली भाई के सीने में लग गयी. फिर अचानक कई गोलियां लगते ही मेरा भाई वहीं गिर पड़ा. इसकी सूचना 11 बजे भैया के यूनिट से मुझे फोन पर मिली कि आपके भाई शहीद हो गये हैं. जिस भाई से अभी-अभी बात हुई, तो सहसा उसके शहीद होने की सूचना पर भला मुझे कैसे विश्वास होता. लेकिन, उनके साथियों ने बताया कि यह सत्य है. उनका पार्थिव शरी मंगलवार को पहुंचेगा.
भैया खुर्शीद 19 जून को ही गांव पर तीन महीना गुजारने के बाद ही गये थे और अल्लाह ने यह दिन भी दिखा दिया. अब उनके पार्थिव शरीर के आने का इंतजार है. मुर्शिद ने बताया कि वह पांच भाई है और सभी भाइयों में वह बड़े थे. पिता श्यामुद्दीन खान की मृत्यु 2014 में होने के बाद से यही परिवार के लिए खेवनहार थे.
अम्मी रुकसाना खातून का रो-रो कर बुरा हाल है. छाती पीटते हुए कहती हैं कि अल्ला तूने यह कैसा दिन दिखाया. मेरे रहते ही मेरा बेटा शहीद हो गया. बेगम नगमा खातून की तीन बेटियां हैं. 13 वर्षीया जाहिदा खुर्शीद, 10 वर्षीया जुबैदा खुर्शीद और पांच वर्षीया अफसाखुर्शीद के साथ कमरे में खामोश पड़ी है.
आंखों से आंसुओं की धार निकल रही है, पर मुंह पर हुंकार है कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हुआ है. इस पर हमें गर्व है. पांच भाइयों में सबसे छोटे मुर्शिद और मुजीब ने कहा कि हमें आप पर गर्व है भैया. आपने देश के लिए अपनी जान दे दी. हमें भी मौका मिला, तो हम देश पर मर मिटने को तैयार हैं.
कश्मीर में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में जहानाबाद जिले के रतनी प्रखंड के अईरा गांव निवासी लवकुश शर्मा वीरगति को प्राप्त हुए हैं. लवकुश शर्मा 2014 में सीआरपीएफ में बहाल हुए थे. 2020, जनवरी में अनुच्छेद 370 हटने के बाद इनकी पोस्टिंग जम्मू में हुई थी, तभी से जम्मू कश्मीर के बारामुला में ड्यूटी कर रहे थे. पिता सूदर्शन शर्मा को जैसे ही मोबाइल पर असिस्टेंट कमांडेंट ने मनहूस खबर दी, वे उनका खून ही सूख गया.
पति के शहीद होने की जानकारी पत्नी अनीता और माता प्रमिला देवी जैसे ही मिली, दोनों बेसुध हो गयीं. पिता तो एक कोने में बैठ कर आने-जाने वाले देख रहे थे. माता अपने जिगर के टुकड़े का फाइल फोटो सीने से चिपकाकर दहाड़ मार रो रही थी.
शहीद लवकुश के एक पुत्र सूरज (सात वर्ष) व पुत्री अनन्या (तीन वर्ष) सिर्फ मां को रोते देख निहार रही थी. दोनों बच्चों को क्या मालूम कि सर से पिता का साया उठ चुका है. पिछले 25 दिसंबर को छुट्टी में घर आये थे. एक माह छुट्टी गुजारने के बाद जम्मू कश्मीर गये थे. बीती रात उन्होंने अपनी पत्नी अनिता व पिता से मोबाइल पर बात की थी. पिता के तो बुढ़ापे की लाठी भी छीन गयी. परिजन व ग्रामीण शव आने का इंतजार कर रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के बारामूला में हुए आतंकी हमले में बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज थाना क्षेत्र के घोषिया कलां ग्राम निवासी सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान और जहानाबाद जिले के शकुराबाद थाना क्षेत्र के अइरा ग्राम निवासी सीआरपीएफ जवान लवकुश शर्मा की शहादत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि देश उनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा. वे इस घटना से काफी मर्माहत हैं.
मुख्यमंत्री ने वीर सपूतों की शहादत को नमन करते हुए उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि शहीदों का राज्य सरकार की ओर से पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जायेगा.
Posted By : Kaushal Kishor