बिहार में तैनात होंगे रोल आउट मैनेजर, आइरेड एप से सड़क दुर्घटनाओं की इंट्री शुरू

राज्य में सड़क दुर्घटना के बाद परिवहन, पुलिस, पथ निर्माण और स्वास्थ्य विभाग को मिल कर रिपोर्ट तैयार करनी है. इसके लिए इन मैनेजरों का सहयोग लिया जायेगा. इनके माध्यम से इन चारों विभाग के रोड सेफ्टी से जुड़े लोगों को कर्मियों व अधिकारियों को प्रशिक्षित करना होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | February 18, 2022 7:59 AM

पटना. सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों की ऑनलाइन निगरानी के लिए अाइ रेड सॉफ्टवेयर को बिहार में लागू किया जा रहा है.जिसके बाद सड़क दुर्घटनाओं की लाइव इंट्री होगी और दुर्घटनाओं की स्टीक कारण का पता लगाना बेहद आसान हो जायेगा. इस सॉफ्टवेयर को कई जिलों में शुरू भी किया गया है. इसके लिए जिलों में रोल आउट मैनेजर की नियुक्ति की जा रही है. एनआइसी के माध्यम से मैनेजरों की नियुक्ति शुरू की गयी है. इससे सड़क दुर्घटना का माइक्रो स्तर पर कारणों का पता लगाया जा सकेगा.

सभी विभागों से समन्वय करेंगे मैनेजर

रोल आउट मैनेजरों को सड़क दुर्घटनाओं के बाद काम करने वाले संबंधित विभागों के साथ सभी तरह से समन्वय स्थापित करना होगा. अभी राज्य में सड़क दुर्घटना के बाद परिवहन, पुलिस, पथ निर्माण और स्वास्थ्य विभाग को मिल कर रिपोर्ट तैयार करनी है. इसके लिए इन मैनेजरों का सहयोग लिया जायेगा. इनके माध्यम से इन चारों विभाग के रोड सेफ्टी से जुड़े लोगों को कर्मियों व अधिकारियों को प्रशिक्षित करना होगा. वहीं, दुर्घटना के बाद रिपोर्ट में देर होगी, तो उसे काम को आगे बढ़ कर जल्द -से -जल्द पूरा करना होगा और दुर्घटना रिपोर्ट को एप पर लोड किया जायेगा, ताकि केंद्र सरकार भी कारणों से अवगत हो सके और जहां सड़क में किसी तरह की परेशानी होगी, तो उसके स्ट्रक्चर को बेहतर किया जायेगा.

आइआइटी मद्रास ने तैयार किया है यह एप

केंद्र सरकार के निर्णय के बाद आइआइटी मद्रास के माध्यम से आइरेड एप को बना कर पूरे देश में लागू किया है, जिसे बिहार में भी लगभग सभी जिलों में इस एप के माध्यम से काम शुरू हो गया है. इस एप में जीपीएस भी लगाया गया है. इस कारण से दुर्घटना के बाद तुरंत ही लाइव लोकेशन कैद कर लेता है और दुर्घटना के कारणों का पता लगाना बेहतर हुआ है. एप को बिहार में लागू कराने की जिम्मेदारी एनआइसी को दिया गया है.

यह है सॉफ्टवेयर की विशेषता

  • – सड़क दुर्घटनाओं का एक जगह यानी केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार करना.

  • – विभिन्न पैमानों पर सड़क दुर्घटना का विश्लेषण

  • – रियल टाइम में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा जुटाना.

  • – हर सड़क दुर्घटना का माइक्रो स्तर पर रिपोर्ट बनाना.

एक नजर में सड़क हादसे

  • साल —– दर्ज मामले —– मृतक —– जख्मी

  • 2015 —– 9555 —– 5421 —– 6835

  • 2016 —– 8222 —– 4901 —– 5651

  • 2017 —– 8855 —– 5554 —– 6014

  • 2018 —– 9600 —– 6729 —– 6679

  • 2019 —– 10007 —– 7205 —– 7206

  • 2020 —– 8639 —– 6699 —– 7019

  • 2021 —- (जुलाई) 5737 — 4645 — 5009

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