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बिहार की बेटियों को साइक्लिंग और माउंटेनियरिंग से जोड़ने का है सबिता का सपना

सबिता का सपना है कि वह अपने जैसे बिहार की बेटी, बेटों को इस क्षेत्र से जोड़े और उन्होंने जो भी स्ट्रगल किया है उन्हें उनसे गुजरना न पड़े.

संवाददाता,पटना बिहार की छपरा की रहने वाली सबिता महतो ने यह नहीं सोचा था कि वह अपनी नौकर छोड़ कर पहले साइक्लिंग और फिर माउंटेनियरिंग के क्षेत्र में माउंट एवरेस्ट तक पहुंचने का सफर तय करेंगी. हालांकि माउंट एवरेस्ट का सफर उन्हें ऑक्सीजन मास्क में आयी दिक्कतों की वजह से कुछ मीटर की दूरी से लौटना पड़ा. उनका सपना है कि वह अपने जैसे बिहार की बेटी, बेटों को इस क्षेत्र से जोड़े और उन्होंने जो भी स्ट्रगल किया है उन्हें उनसे गुजरना न पड़े. सवाल- सबसे पहले अपने बारे में बताएं? जवाब- मैं मूल रूप में छपरा के पानापुर की रहने वाली हूं. मेरे पिता मछली विक्रेता हैं. ग्रेजुएशन के आखिरी साल में मेरी नौकरी लग गयी थी. इस दौरान मुझे नौकरी से ज्यादा कुछ अलग करने चाह थी. जिसके बाद मैंने नौकरी छोड़ कर साइक्लिंग की ओर अपना कदम बढ़ाया. सवाल- साइक्लिंग और फिर माउंटेनियरिंग के क्षेत्र से कैसे जुड़ी? जवाब- बचपन से मैं स्पोर्ट्स में काफी अच्छी थी लेकिन स्पोर्ट्स ड्रेस को लेकर आलोचनाओं की वजह से मुझे इसे छोड़ना पड़ा. नौकरी छोड़ने के बाद मुझे लोगों को यह दिखाना था कि लड़कियों को अगर मौक मिले तो हर चुनौतियों का सामना करते हुए मुकाम हासिल कर सकती है. जिसकी शुरुआत मैंने पहले साइक्लिंग और फिर माउंटेनियरिंग से की. सवाल- साइक्लिंग की शुरुआत किस मकसद से कीं? जवाब- मैंने इसकी शुरुआत पटना से की. भारत में मैंने 12500 किलोमीटर साइक्लिंग की है. वहीं दूसरे देशों को मिला कर 45000 किमी साइक्लिंग कर ली है. ऑल इंडिया साइक्लिंग के दौरान मैंने वीमेंस सेफ्टी और बेटियों की शिक्षा का संदेश दिया. इसके अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका में साइक्लिंग की है. साल 2021 यूएन के वन बिलियन राइजिंग की ब्रांड एंबेसडर रही. अभी सुलभ इंटरनेशनल से जुड़ कर वीमेन हाइजिन के लिए कार्य पर कर रही हूं. सवाल- माउंटेनियरिंग के बारे में बताए? जवाब- मेरा सपना एवरेस्ट पर चढ़ने का था. जिसकी शुरुआत मैंने पहले साइक्लिंग से ही ताकि कोई मेरी काबिलियत को पहचाने और मुझे स्पॉनसर्स मिले. बिहार में मुझे स्व बिंदेश्वर पाठक का भरपूर सहयोग मिला. उनकी वजह से माउंट एवरेस्ट तक का सफर तय कर पायी. हालांकि तकनीकी कारणों से मेरा समिट अधूरा रह गया. सवाल- बिहार की पहली बेटी है जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया है, आप क्या कहना चाहती हैं? जवाब- मुझे बस इतना कहना कि बिहार सरकार हम जैसे टैलेंट को सपोर्ट करें. मेरा सपना है कि मैं बिहार की युवा जो इस क्षेत्र से जुड़ना चाहते उन्हें प्रशिक्षित करूं.

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