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लाठीचार्ज के 50 साल: धक्का खाकर नीचे गिरे, फिर सिर पर तौलिया डाले लड़खड़ाकर उठे जेपी

Sampoorn Kraanti: बेली रोड में पुलिस नाकेबंदी का अंतिम द्वार बना था. जैसे ही वहां आंदोलनकारियों का हुजूम वहां पहुंचा, तभी पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. आंसू गैस के गोले भी दागे गये. इस लाठीचार्ज में कई लोग घायल हुए. जेपी के सिर पर भी चोट लगी थी. लोकनायक लहूलुहान हो गये.

Sampoorn Kraanti: पटना. ठीक पचास साल पहले आज ही के दिन (चार नवंबर, 1974) को पटना में घेराव और प्रदर्शनों के पहले से तय कार्यक्रमों को देखते हुए पूरे शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. चारों तरफ सीआरपीएफ के जवान तैनात थे. इसी दिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में मंत्रियों और विधायकों के आवासों को घेरने के लिए आंदोलनकारियों ने मन बनाया था. जयप्रकाश नारायण करीब 10 बजे गांधी मैदान पहुंचे और वहां से आगे बढ़े. उनके साथ आंदोलनकरियों का जत्था भी विधायक और मंत्रियों के आवास की ओर बढ़ा. इस दौरान महिलाओं का जत्था भी लाला लाजपत राय मार्ग से छज्जु बाग की तरफ से होते हुए जेपी के नेतृत्व वाले जुलूस से जा मिला.

बेली रोड में था पुलिस नाकेबंदी का अंतिम द्वार

बेली रोड में पुलिस नाकेबंदी का अंतिम द्वार बना था. जैसे ही वहां आंदोलनकारियों का हुजूम वहां पहुंचा, तभी पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. आंसू गैस के गोले भी दागे गये. इस लाठीचार्ज में कई लोग घायल हुए. जेपी के सिर पर भी चोट लगी थी. लोकनायक लहूलुहान हो गये. धर्मवीर भारती के ही शब्दों में कहें तो, ‘‘जेपी ने पटना में भ्रष्टाचार के खिलाफ रैली बुलायी. रोकने के हर सरकारी उपाय के बावजूद लाखों लोग उसमें आये. उन निहत्थों पर निर्मम लाठीचार्ज का आदेश दिया गया. अखबारों में धक्का खाकर नीचे गिरे बुजुर्ग जेपी, उन पर तनी पुलिस की लाठी, बेहोश जेपी और फिर सिर पर तौलिया डाले लड़खड़ाकर चलते हुए घायल जेपी की तस्वीरें छपीं. दो-तीन दिन भयंकर बेचैनी रही, बेहद गुस्सा और दुख.”

जेपी के नेतृत्व में बनी थी छात्र संघर्ष समिति

जयप्रकाश नारायण ने सन् 1974 में बिहार से आंदोलन की शुरुआत की थी. उनके नेतृत्व में छात्र संघर्ष समिति का गठन किया गया. छात्रों व युवाओं की यह समिति जनसंघर्ष समिति में शामिल बुजुर्गों से समन्वय स्थापित कर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रही थी. इसी क्रम में 4 नवंबर, 1974 को उनके नेतृत्व में पटना में विधान सभा का घेराव करने का निर्णय लिया गया था, जिसपर तत्कालीन सरकार की तरफ से आयकर चौराहे पर लाठियां चलीं. आंसू गैस के गोले छोड़े गये कई लोग घायल हुए.

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हिल गयी थी केंद्र सरकार की कुर्सी

जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए जेपी आंदोलन ने केंद्र में बैठी इंदिरा गांधी की कुर्सी तक को हिला दिया. इस आंदोलन की शुरुआत बिहार से हुई. आंदोलन का हिस्सा रहे समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी बताते हैं कि जिस वक्त देश में जेपी का आंदोलन हुआ, उस वक्त पूरी दुनिया में छात्रों के आंदोलन चल रहे थे. बिहार में शुरू हुए इस आंदोलन की पृष्ठ भूमि गुजरात से जुड़ी है. वहां के इंजीनियरिंग कॉलेज में मेस का चार्ज बढ़ा दिया गया, जिसका छात्रों ने विरोध किया. ये आंदोलन इतना व्यापक हुआ कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को इस्तीफा देना पड़ा. इसे देखते हुए बिहार में भी छात्रों की सभा का आयोजन पटना विवि में किया गया. इसमें बिहार की जनता और छात्रों की समस्या को लेकर सरकार को घेरने का प्लान बनाया गया था.

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