खरमास जाते-जाते बिहार एनडीए में मच गया घमासान, क्या सम्राट अशोक के बहाने हो रहा ‘खेला’?
बिहार में सम्राट अशोक पर लेखक के द्वारा की गयी टिप्पणी का विवाद अब गहरा गया है. जदयू और भाजपा आमने सामने हो गयी है. खरमास खत्म होते-होते अब एक नये विवाद को जन्म दे गया है. जिसके बाद राजद के खेला होने का दावा भी सामने दिख रहा है.
बिहार में सम्राट अशोक के बहाने एकबार फिर एनडीए में घमासान मच गया है. कुछ दिनों पहले राजद के बाबा यानी मृत्युंजय तिवारी ने ये दावा किया था कि खरमास के बाद बिहार की सियासत में खेला होने वाला है. उस समय एनडीए ने इसे हल्के में लिया लेकिन अब जब खरमास खत्म होने के करीब आया तो सम्राट अशोक के विवाद ने एनडीए ने खलबली मचाई है. जदयू ने बीजेपी के ऊपर हमला बोला है.
सम्राट अशोक पर लेखक व पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा ने टिप्पणी किया तो इसे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मुद्दा बना दिया. इशारे ही इशारे में भाजपा पर हमला करते हुए ललन सिंह ने लेखक की सदस्यता वापस लेने की सलाह भाजपा को दी. पद्म श्री वापस लेने का अनुरोध राष्ट्रपति से किया. उधर भाजपा ने खुद पर निशाना साधते देख अपने तरफ से सफाई भी दी. सांसद सुशील मोदी ने पहले ये बयान दिया कि लेखक भाजपा के सदस्य नहीं हैं.
सम्राट अशोक पर टिप्पणी को लेकर चल रही बयानबाजी के बीच गुरुवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने पटना के कोतवाली थाने में लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी. थानाध्यक्ष के नाम दिये आवेदन में डॉ जायसवाल ने कहा है कि दया प्रकाश सिन्हा का दूर-दूर तक भाजपा से कोई संबंध नहीं है. इस व्यक्ति ने भाजपा की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया. प्रशासन इस तरह की गलत टिप्पणी करने वाले व्यक्ति पर कानूनसम्मत कार्रवाई करे.
आई वाश मत कीजिए, संजय जी। जले पर नमक मत छिड़किए। सीधे- सीधे एवार्ड वापसी की मांग का समर्थन कीजिए। वरना ऐसे दिखावटी मुकदमा का अर्थ लोग खूब समझते हैं। pic.twitter.com/V4CEfbQyMw
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLJD) January 13, 2022
वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज कराई तो जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने संजय जायसवाल पर खुलकर हमला बोल दिया. संजय जायसवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके द्वारा दर्ज कराये गये दिखावटी मुकदमे का अर्थ लोग खुब समझते हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि डॉ संजय जायसवाल आइ वाश बंद करें, जले पर नमक नहीं छिड़कें और सीधे-सीधे अवार्ड वापसी की मांग का समर्थन करें.
इस पूरे प्रकरण में भाजपा एकबार फिर अपने ही साथी दलों के साथ घिरी दिख रही है. बता दें कि हाल में ही खेला होने का दावा कर राजद के मृत्युंजय तिवारी उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर जाकर उनसे मिले थे तो सियासत गरमायी थी. दोनों नेताओं ने इसे निजी मुलाकात बताया लेकिन सियासी पंडित तरह-तरह के कयास लगाते रहे. अब खरमास खत्म होने के ठीक पहले भाजपा और जदयू के शीर्ष नेताओं के बीच ये कड़वाहट कितनी दूर जाकर सही होती है ये देखना बांकि है.
Posted By: Thakur Shaktilochan