संवाददाता, पटना
श्री चौधरी ने कहा कि चपरासी क्वार्टर से शुरू हुई राजनीति का मकसद बिहार का विकास नहीं बल्कि हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति इकट्ठा करना रहा है. 1999 में मात्र 87 करोड़ की संपत्ति बताने वाला लालू परिवार के पास 2004 में 370 करोड़ की घोषित संपत्ति हो गयी, जबकि 2019 में इस परिवार के सदस्यों के पास 1,820 लाख से ज्यादा की परिसंपत्ति थी. इस परिवार के पास 150 से ज्यादा भूखंड, 30 फ्लैट और आधे दर्जन से ज्यादा बंगला व मकान है. महज 29 साल की उम्र में तेजस्वी यादव 52 से ज्यादा परिसंपत्तियों के मालिक बन गये थे. तेज प्रताप यादव 28 और मीसा भारती 23 से ज्यादा संपत्ति की मालकिन हैं. राबड़ी देवी के नाम से पटना में 43 भूखंड के अलावा 30 से ज्यादा फ्लैट है. उन्होंने कहा कि खोखा कंपनियों, दान, वसीयत, पावर ऑफ अटॉर्नी और हर काम के बदले जमीन-मकान हथियाने का लालू परिवार का नायाब फंडा रहा है. एमएलए, एमएससी, सांसद और मंत्री बनाने के लिए भी इस परिवार ने विभिन्न हथकंडे अपना कर जमीन, मकान लिखवा लिए हैं. रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में इस परिवार के कम से कम आधे दर्जन सदस्य जांच के घेरे में हैं.
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