बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में वैंकेसी का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए सरकार अब नये मौके लेकर आने वाली है. प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज में सहायक प्राध्यापक के रिक्त 1376 पदों पद जल्द ही बहाली होगी. इसमें सहायक प्राध्यापक के अलावे अन्य पदों को भी भरा जायेगा. ये नियुक्ति स्थायी की जायेगी.विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग को इस नियुक्ति को लेकर अधियाचना भेजी है.
इस नियुक्ति में उन शिक्षकों को लाभ मिलेगा जो पहले से संविदा पर कार्यरत हैं. संविदाकर्मियों को प्रति वर्ष पांच अंकों की अधिमान्यता दी जायेगी. यह अधिकतम पांच वर्षों के अनुभव तक ही मान्य होगा.यानी अधिकतम 25 अंकों का लाभ लिया जा सकेगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम के तहत सात इंजीनियरिंग कॉलेजों में कार्यरत प्राध्यापकों का मानदेय अब राज्य सरकार ही देगी.
बता दें कि राष्ट्रीय परियोजना कार्यन्वयन एकक के तहत केंद्र सरकार की देखरेख में इस योजना को चलाया जा रहा था. 31 मार्च को यह योजना खत्म हो गई. लेकिन विद्यार्थियों के हित में इन शिक्षकों के सेवा को जारी रखना जरुरी समझा गया. ये शिक्षक आइआइटी और आइआइएम से प्रशिक्षित हैं. इन प्राध्यापकों को सत्तर हजार रुपये का मानदेय दिया जाता है. वहीं परफॉर्मेंश के आधार पर इसमें हर साल बढ़ोतरी भी की जाती है. ऐसे 198 प्राध्यापक अभी सेवा में हैं.
जिन 7 कॉलेजों को इस योजना के तहत शामिल किया गया है उनमें एमआईटी मुजफ्फरपुर, बीसीई भागलपुर, मोतिहारी अभियंत्रण महाविद्यालय, दरभंगा अभियंत्रण महाविद्यालय, गया अभियंत्रण महाविद्यालय, नालंदा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग तथा लोकनायक जयप्रकाश प्रौद्योगिकी संस्थान छपरा शामिल हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan