Sarkari Naukri: बिहार में 94 हजार प्राइमरी शिक्षक बहाली विवाद पर हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, नियुक्ति प्रक्रिया होगी शुरू
पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि 23 नवंबर 2019 के पूर्व सीटीईटी परीक्षा पास उम्मीदवार ही बिहार के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की होने वाली बहाली प्रक्रिया में शामिल होंगे. जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने नीरज कुमार व अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया है. एकलपीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख लिया था.
बिहार सरकार के साल 2019 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर लगाई गई रोक को लेकर पटना हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि 23 नवंबर 2019 के पूर्व सीटीईटी परीक्षा पास उम्मीदवार ही बिहार के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की होने वाली बहाली प्रक्रिया में शामिल होंगे.
जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने नीरज कुमार व अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया है. एकलपीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को कहा है कि वह शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेजी से पूरा करें.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बहस के दौरान कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने 15 जून 2020 को एक आदेश पारित कर कहा है कि दिसंबर 2019 में सीटीईटी पास उम्मीदवार इस परीक्षा में नहीं भाग ले सकते है. सरकार का कहना था कि इस विज्ञापन के बाद बदलाव कैसे किया जा सकता है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इस परीक्षा के माध्यम से पूरे राज्य में लगभग 94 हजार शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया चल रही हैं.
बता दें कि एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थानों के 18 महीने का डीएलएड कोर्स पास शिक्षकों को भी इस नियोजन कार्यक्रम में आवेदन देने का अधिकार पटना हाई कोर्ट ने दिया था. उस आदेश पर शिक्षा विभाग ने नई अधिसूचना जारी की थी जिसमें डीएलएड अभ्यार्थियों सहित दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुए कम्बाइंड टीईटी अभ्यार्थियों को भी आवेदन देने का मौका दे दिया गया था.
शिक्षा विभाग ने 15 जून 2020 को जारी अपने एक नए आदेश से यह बताया कि इस बहाली में डीएलएड कोर्स पास अभ्यार्थियों का ही आवेदन लिया जाएगा और दिसम्बर 2019 में पास हुए कम्बाइन्ड टीईटी अभ्यार्थियों को नियोजन कार्यक्रम में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा. जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने आदेश को राज्य सरकार का मनमानापन कहते हुए इसे निरस्त करने की मांग हाईकोर्ट से की थी.