Sarkari Naukri : पटना हाइकोर्ट का आदेश, BPSC में पिछले विज्ञापन से भरे जायेंगे न्यायिक सेवा के रिक्त पद
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने ज्योति जोशी द्वारा दायर रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया.
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा है कि न्यायिक अफसरों की चल रही नियुक्ति प्रक्रिया जब तक पूरी नहीं होती है, तब तक राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह पिछली नियुक्ति प्रक्रिया के बचे हुए रिक्त पदों को उसी प्रक्रिया में तैयार हुई उन अभ्यर्थियों की मेधा सूची से चुन कर भरे, जिनकी नियुक्ति कट ऑफ अंक से नीचे होने के कारण नहीं हो पायी थी. न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने ज्योति जोशी द्वारा दायर रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया.
सिविल जज के रिक्त पदों पर भर्ती
मामला 2018 में 30 वीं संयुक्त न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा के लिये निकाले गये विज्ञापन से संबंधित था. इस परीक्षा से 349 सिविल जज के रिक्त पदों पर भर्ती होनी थी. बिहार लोक सेवा आयोग ने 351 सफल अभ्यर्थियों की एक संयुक्त मेधा सूची तैयार की थी, जिसमें याचिकाकर्ता का भी नाम शामिल था. उक्त भर्ती प्रक्रिया में अनुशंसित सात सफल अभ्यर्थियों ने योगदान नहीं किया, जिसके कारण सात सीटें रिक्त ही रह गयी थीं.
रिट याचिका का किया गया विरोध
याचिकाकर्ता ने रिट याचिका दायर कर बची छह सीटों में एक पद पर अपनी नियुक्ति किये जाने का अनुरोध कोर्ट से किया. कोर्ट में चल रही सुनवाई के समय पटना हाइकोर्ट प्रशासन, राज्य सरकार व बीपीएससी की तरफ से रिट याचिका का विरोध किया गया. क्योंकि याचिकाकर्ता का मेधा अंक (516) था जो न्यूनतम कट ऑफ अंक पाने वाले अनारक्षित कोटे से अंतिम चयनित अभ्यर्थी के मेधा अंक (517) से कम था.
हाइकोर्ट प्रशासन ने कहा कि मेधा सूची में सफल हुए और नियुक्ति से चूके हुए सफल उम्मीदवारों के लिए कोई पूरक मेधा सूची बनाने का कोई प्रावधान न्यायिक अफसरों की नियुक्ति नियमों में नहीं है.याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि सरकार और हाइकोर्ट प्रशासन का यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है.