सावन में भगवान शिव को समर्पित आदि शंकराचार्य लिखित लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र को बिहार की लोकगायिका मनीषा श्रीवास्तव ने अपनी आवाज में गया है. अद्भुत गायकी व सुन्दर फिल्मांकन के कारण यह लोगों को पसंद आ रहा है. मनीषा ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि हर वर्ष मैं भगवान भोले शंकर की भजन गाती हूँ. पर इस बार कुछ अलग करने को सोच रखा था. इसी कारण मैंने आदि शंकराचार्य लिखित लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र को चुना. मेरा यह प्रयास इस सावन में भगवान शिव को समर्पित है. मनीषा हमेशा कुछ अलग करने की चाहत रहती हैं. इसी कड़ी में उन्होंने इस सावन भोजपुरी क्षेत्र के पारम्परिक गीतों से हट कर लिङ्गाष्टकम् को गाया है.
कौन हैं मनीषा श्रीवास्तव
मनीषा श्रीवास्तव मूल रुप से सासाराम की रहने वाली हैं. मनीषा श्रीवास्तव को बचपन से ही लोकगीत से प्रेम था. उनको इसकी पहली शिक्षा अपने दादा जी से मिली. मनीषा अपने बचपन की कहानी शेयर करते हुए कहती है कि दादा जी गीत लिखते थे और मैं गांव में होने वाले नाटक उसे गाया करती थी. फिर जब छठी क्लास में थी तो दादा जी ने संगीत सीखने के लिए मेरा नामांकन प्रयागराज स्थित प्रयाग संगीत समिति में करवा दिया.
यहां पर ही हमने संगीत की शिक्षा लिया. प्रयाग राज जो सफर शुरु हुआ वह कई लोकगीतों के साथ अलग अलग मंचों से होते हुए आज यहां तक पहुंचा है. मनीषा पारंपरिक विवाह गीत भी एक नए अंदाज में गाती हैं. इनेक पास अलावा शादी के हर रस्म पर पारंपरिक गीतों का पूरा प्लेलिस्ट तैयार है.इन्होंने अयोध्या में राममंदिर उद्घाटन के समय गाया गया गीत \”बड़ा निक लागे राघव जी के गउवां\” सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. जगतगुरु रामभद्राचार्य द्वारा लिखा गया इस भजन को मनीषा श्रीवास्तव ने नए अंदाज में म्यूजिक के साथ पेश किया था.