अनुज शर्मा, पटना. अाय, जाति, निवास आदि प्रमाणपत्रों के लिए जिस ‘सर्विस प्लस ‘ पोर्टल पर आवेदन किया जाता है, उसके सर्वर में तकनीकी खराबी आ गयी है. इससे राज्य भर में लोकसेवाओं के अधिकार (आरटीपीएस) के तहत दी जाने वाले सेवाओं के 21 लाख से अधिक मामले लंबित हो गये हैं.
कुल आवेदनों में 90% आवेदन आय, जाति व निवास प्रमाणपत्रों के हैं. यानी शिक्षा, रोजगार और नौकरी के लिए जरूरी करीब 19 लाख प्रमाणपत्र समय से जारी नहीं होने से किसी का काॅलेज व अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन अटक गया है, तो किसी को नौकरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
तीन विभाग मिलकर इस दिक्कत हो दूर करने में जुटे हैं, लेकिन समस्या कब खत्म होगी, यह कहा नहीं जा सकता है. एनआइसी के जानकार बताते हैं कि पीक आवर्स में दो लाख तक आवेदन आने से यह समस्या पैदा हुई है. सर्विस पोर्टल पर आवेदन स्वीकार हो जा रहा, पर उसका निबटारा उतनी संख्या में नहीं हो पा रही है. रविवार को एक दिन में डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आये. इनमें सिर्फ 36 हजार से कुछ अधिक का समाधान हो पाया.
मधुबनी के राजनगर अंचल निवासी सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर युवक ने दो अगस्त को इडब्लूएस का प्रमाणपत्र जारी कराने के लिए आवेदन किया था. सर्विस प्लस (बिहार सरकार) की ओर से मैसेज के जरिये उसे अवगत कराया गया कि 13 अगस्त तक प्रमाणपत्र जारी कर दिया जायेगा.
13 सितंबर बीत गया, लेकिन प्रमाणपत्र नहीं मिला है. क्लैट में आवेदन की अंतिम तारीख में केवल दो दिन बचे होने के कारण वह मजबूरन इडब्लूएस कैटेगरी का लाभ लिये बिना ही आवेदन करने जा रहा है. राज्य में ऐसा लाखों युवाओं के साथ हुआ है. देश के 14 केंद्रीय विवि में प्रवेश की अंतिम तिथि पांच सितंबर थी.
पटना विवि, पाटलिपुत्र विवि में प्रवेश की अंतिम तारीख निकल चुकी है. पंचायत चुनाव लड़ने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है. जाति आदि प्रमाणपत्र समय से न मिलने के कई लोग तैयारी के बाद भी नामांकन नहीं कर सके. राज्य में दो चरणों की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
सर्विस प्लस पर प्रमाणपत्र जारी करने का मुख्य काम सीओ का होता है. मधुबनी जिले के राजनगर के सीओ का कहना था कि सर्वर ठीक नहीं रहने के कारण प्रमाणपत्र नहीं के बराबर बन रहा है. इस संबंध में आला अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है. अन्य जिलों के सीओ का भी यही कहना था.
अररिया के फारबिसगंज के सीओ का कहना था कि दिक्कत हो रही है. सर्विस प्लस पर जितने आॅनलाइन प्रमाणपत्र जारी होते है, उतनी संख्या में वे जारी नहीं हो पा रहे हैं. डिजिटल सिग्नेचर नहीं रहने से दिन में काम नहीं हो पा रहा है. रात में थोड़ा ठीक होता है, तो हमलोग बैठकर कुछ जरूरी काम ही जैसे-तैसे कर ले रहे हैं. तकनीकी खराबी के कारण सभी को दिक्कत हो रही है.
आॅनलाइन सर्विस को सुचारु करने के लिए कई जिलों के पदाधिकारियों ने मुख्यालय को पत्र लिखा है. इस समस्या को लेकर 26 अगस्त को बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी की अपर मिशन निदेशक डॉ प्रतिमा एस ने एनआइसी, दिल्ली के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की थी. पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में प्रमाणपत्रों को बनाये जाने की संभावना को ध्यान में रखकर भी उच्च प्राथमिकता के आधार पर समस्या को दूर करने के निर्देश दिये गये थे.
अब तक
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आवेदन 2,08,93,669
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डिलेवर्ड 1,74,75,193
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रिजेक्ट 12,79,877
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लंबित 21,38,599
एक से 13 सितंबर
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रिसीव 18,09,972
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डिलेवर्ड 3,95,534
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रिजेक्ट 30,378
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लंबित 13,84,060
अपर मिशन निदेशक, बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी डा प्रतिमा एस ने कहा कि सर्वर में आयी तकनीकी खराबी के कारण प्रमाणपत्र जारी करने में दिक्कत हो रही है. इसे ठीक करने के लिए तकनीकी टीम जुटी हुई है. सभी जिलों के पदाधिकारियों से कहा गया है कि जहां भी दिक्कत हो रही है, वे हमें बताएं. वन-टू-वन करके उस समस्या को दूर किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha