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Sex Ratio in Bihar: बिहार में कम हो रही बेटियां, वैशाली और भोजपुर के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

Sex Ratio in Bihar: बिहार सरकार ने जन्म के समय लिंगानुपात मामले में राज्य की खराब स्थिति पर चिंता जाहिर की है. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली की रिपोर्ट में बिहार को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल किया गया है. एनडीए सरकार समाज में बेटियों के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है.

Sex Ratio in Bihar: पटना. देवी उपासक बिहार में बेटियों की संख्या लगातार कम हो रही हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. घटते लिंगानुपात से बिहार सरकार भी चिंतित है. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में जन्म के समय लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएं) 882 रहा, जो सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली की रिपोर्ट में बिहार को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल किया गया है.

वैशाली जिले का सबसे खराब प्रदर्शन

स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली रिपोर्ट के मुताबिक बिहार का वैशाली जिला सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला जिला है, जहां 2023-24 में लिंगानुपात 800 से नीचे था. रिपोर्ट में बताया गया कि वैशाली के बाद भोजपुर (801), सारण (805), गोपालगंज (837), अरवल (844), जमुई (845), जहानाबाद (852), नवादा (858), पटना और शिवहर (862 प्रत्येक) तथा पश्चिमी चंपारण (864) आदि जिले शामिल थे. बिहार के लिंगानुपात की बात करें तो बिहार में 2022-23 में लिंगानुपात 894 रहा, वहीं 2021-22 में 914 था.

कन्या भ्रूण हत्या पर सरकार की नजर

इस मुद्दे को लकेर बिहार के मुख्य सचिव (सीएस) अमृत लाल मीणा ने संबंधित विभागों की एक बैठक की है. इस दौरान राज्य भर के वरिष्ठ अधिकारियों और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि गर्भधारण के पहले और प्रसव पहले निदान तकनीक अधिनियम, 1994 को अपने-अपने क्षेत्रों में सख्ती सेलागू करें और इसका पालन करें. इधर, बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का कहना है कि राज्य में घटता लिंगानुपात गंभीर चिंता का विषय है. लिंगानुपात में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या भी एक नैतिक और सामाजिक मुद्दा है. ऐसे में सरकार लोगों से बेटियों को बचाने की अपील करती है.

बेटियों के प्रति समाज को बदलना होगा नजरिया

स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि राज्य में लैंगिक असमानता में सुधार के लिए बिहार सरकार ने कई कल्याणकारी उपाय शुरू किए हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य की महत्वाकांक्षी योजना जैसे मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना (कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए) एक लड़की के जन्म से स्नातक बनने तक की अवधि को कवर करती है. सरकार की इस योजना का मकसद लड़कियों के जन्म को बढ़ावा देना और भ्रूण हत्या के साथ ही लिंग असंतुलन को रोकना है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और सूबे के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार समाज में बेटियों के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है.

‘बेटी बचाओ’ अभियान को तेज करेगी सरकार

स्वास्थ्य मंत्री ने मंगल पांडेय ने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की शुरुआत पीएम द्वारा 2015 में गिरते बाल लिंग अनुपात और महिला सशक्तिकरण के संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए की गई थी. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण, लोगों को संवेदनशील बनाना, जागरुकता बढ़ाने और जमीनी स्तर पर सामुदायिक गतिशीलता के जरिए से मानसिकता में बदलाव पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार राज्य में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट की प्रवृत्ति को रोकने के लिए अपने अभियान को और तेज करेगी.

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