शाहनवाज हुसैन की बिहार वापसी के क्या हैं मायने?, जानें किस मकसद में कामयाब होने की तैयारी कर रही भाजपा
बिहार में भाजपा विधान सभा चुनाव के बाद लगातार चौंकाने वाले फैसले ले रही है. चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद सुशील मोदी को दिल्ली भेजना और दो नए उपमुख्यमंत्री के साथ बिहार में सरकार चलाने के फैसले के बाद अब पार्टी ने विधान परिषद उपचुनाव के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है. शाहनवाज की बिहार वापसी ने कइ सियासी अटकलों को तेज कर दिया है. जानते हैं शाहनवाज की बिहार में वापसी को लेकर क्या हो सकती है भाजपा की रणनीति....
बिहार में भाजपा विधान सभा चुनाव के बाद लगातार चौंकाने वाले फैसले ले रही है. चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद सुशील मोदी को दिल्ली भेजना और दो नए उपमुख्यमंत्री के साथ बिहार में सरकार चलाने के फैसले के बाद अब पार्टी ने विधान परिषद उपचुनाव के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है. शाहनवाज की बिहार वापसी ने कइ सियासी अटकलों को तेज कर दिया है. जानते हैं शाहनवाज की बिहार में वापसी को लेकर क्या हो सकती है भाजपा की रणनीति….
बिहार विधान परिषद की दो खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होना है. भाजपा ने अपने कोटे की सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है. जिसके बाद बिहार की राजनीतिक गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म है. ऐसा मानना है कि भाजपा ने अब सीमांचल पर निशाना साधने की तैयारी शुरू कर ली है. जहां से कभी शाहनवाज ने अपनी सियासी पारी का आगाज किया था.वहीं भाजपा ने बिहार में मुस्लिम उम्मीदवार की शून्यता को समाप्त कर लिया है. अभी तक विधान परिषद व विधान सभा में कोई मुस्लिम उम्मीदवार भाजपा की तरफ से नहीं थे. भाजपा अब ने शाहनवाज को मैदान में उतार एक तीर से कइ निशानों को साधा है.
सीमांचल में बीजेपी अब मुस्लिम वोटरों को साधने की तैयारी में है. हाल में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने 24 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था. जिसके कारण राजद को मुस्लिम वोटों का काफी नुकसान हुआ था. अब भाजपा ने भी यहां मुस्लिम वोटरों को साधने की तैयारी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि इस उद्देश्य के तहत भी शाहनवाज की एंट्री बिहार की राजनीति में करा दी गई है. वहीं अब राज्य में जल्द ही कैबिनेट विस्तार होना है. जिसके बाद अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शाहनवाज को बिहार सरकार में मंत्री पद भी सौंपा जा सकता है.
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गौरतलब है कि शाहनवाज हुसैन सीमांचल में अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं. पहली बार 1999 में उन्होंने किशनगंज से ही चुनाव लड़ा था. जिसमें तसलीमुद्दीन को हराकर वो लोकसभा पहुंचे थे और मंत्री बनाए गए थे. वहीं सुशील मोदी के इस्तीफे के बाद खाली हुए भागलपुर सीट पर उन्हे भाजपा ने 2006 के उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया था. जहां से उन्होंने जीत हासिल की थी. 2009 के चुनाव में भी उन्हें इसी सीट से जीत हासिल हुई थी. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें राजद उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद भागलपुर की सीट जदयू के हिस्से में दे दी गई और शाहनवाज को राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिल्ली बुला लिया गया था.
हाल में ही कश्मीर के पंचायत चुनाव में पार्टी ने शाहनवाज को जिम्मेदारी सौंपी थी. जिसका चुनाव परिणाम बीजेपी के मनोनुकूल आया था. शाहनवाज पूरे चुनाव के दौरान काफी चर्चे में रहे. जिसके बाद बीजेपी ने अब बिहार के मुस्लिम वोटरों पर निशाना साधने का प्लान शाहनवाज के जरिए तैयार किया है.
सूत्रों के अनुसार, बिहार चुनाव के बाद ही अल्पसंख्यक चेहरे को आगे करने की रणनीति भाजपा में लगातार चल रही थी. लेकिन बिहार में ओवैसी के कद को टक्कर देने वाला कोई राज्यस्तरीय चेहरा नहीं पाया गया. जिसके बाद भाजपा के मंचों पर मजबूती से पार्टी का पक्ष रखने वाले शाहनवाज को आगे कर बीजेपी ने अपना अल्पसंख्यक कार्ड खेला है.
Posted By :Thakur Shaktilochan