घर-घर विराजीं मां दुर्गा, पहले दिन हुई शैलपुत्री की पूजा
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार को कलश स्थापना के साथ वासंतिक नवरात्र शुरू हुआ. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा हुई. गंगा की मिट्टी में जौ डालकर उसके ऊपर कलश स्थापना कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देवी का आह्वान कर षोडशोपचार से पूजा की गयी.
– वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शुरू हुआ चैत्र नवरात्र
पटना. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार को कलश स्थापना के साथ वासंतिक नवरात्र शुरू हुआ. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा हुई. गंगा की मिट्टी में जौ डालकर उसके ऊपर कलश स्थापना कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देवी का आह्वान कर षोडशोपचार से पूजा की गयी. मंदिरों में पुरोहित द्वारा विशेष पूजा-अर्चना कर स्तुति पाठ के बाद आरती हुई. घरों में श्रद्धालुओं ने भी भगवती का आह्वान-पूजन किया. विक्रम संवत 2081 का आरंभ भी मंगलवार से हो गया. दुर्गा सप्तशती, कील, कवच, अर्गला, दुर्गा चालीसा, रामचरितमानस, सुंदरकांड का पाठ भी संकल्प के साथ शुरू हो गया, जो चैत्र शुक्ल महानवमी गुरुवार 17 अप्रैल को हवन, पुष्पांजलि के साथ संपन्न होगा.…………………………….
सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में चैत्र नवरात्र आरंभ
ज्योतिर्विद डॉ श्रीपति त्रिपाठी और आचार्य राकेश झा ने बताया कि मंगलवार को रेवती नक्षत्र व सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में चैत्र नवरात्र आरंभ हुआ. माता के उपासक 10 दिन के लिए भक्ति में लीन हो गये. मंगलवार प्रतिपदा तिथि में कलश, गणेश-अम्बिका, नवग्रह, पंचदेव, षोडशमातृका सहित भगवती का आह्वान व विधिवत पूजन किया गया. श्रद्धालु विशेष कामना की पूर्ति के लिए विशेष मंत्र व विधि से पूजा कर रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कलश की पूजा करने से सभी देवी-देवता व तीर्थ की पूजा हो जाती है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में प्रत्येक दिन माता के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी.
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मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटी
नवरात्र को लेकर राजधानी के प्रमुख मंदिरों बांसघाट काली मंदिर, अगमकुआं, दरभंगा हाउस काली मंदिर, गर्दनीबाग ठाकुरवाड़ी, नवलखा दुर्गा मंदिर (सचिवालय) में पहले दिन सुबह से लेकर देर शाम तक पूजा- अर्चना में जुटे रहे. इसके कारण मां के भक्तों को लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार तक करना पड़ा.
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बंगाली अखाड़ा में श्रीश्री बासंती दुर्गा पूजा 14 से
बंगाली अखाड़ा में श्रीश्री बासंती दुर्गा पूजा का आयोजन 14 से होगा. इस बात की जानकारी शुरोद्यान पूजा अनुष्ठान समिति के सभापति नीशिथ कुमार बोस ने मंगलवार को दी. उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को प्रात: आठ बजे श्रीश्री बासंती दुर्गादेवी षष्ठी का पूजा आरंभ होगा. शाम में देवी का आमंत्रण और अधिवास. 15 अप्रैल को श्रीश्री बासंती दुर्गा देवी का नवपत्रिका का प्रवेश, स्थापना और सप्तमी पूजा का शुभारंभ. 16 अप्रैल को महाअष्टमी की पूजा. 17 को महानवमी और 18 अप्रैल को प्रात: 9 बज कर 31 मिनट पर दशमी पूजा का समापन, दर्पण और कलश का विसर्जन होगा. उन्होंने बताया कि महाअष्टमी के भाेग के लिए कम से कम 300 रुपये प्रति भोग और महानवमी के दिन प्रति भोग 350 रुपये की भोग रसीद लेना अनिवार्य है.