बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी अवैध तरीके से शराब का काला कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है. ना ही बेचने वाले पर लगाम लग पा रहा है और ना ही पीने वालों को उपलब्धता की दिक्कत है. हाल में ही जहरीली शराब से मौत मामले के बाद सूबे में फिर एकबार सनसनी मच गई. सियासी गलियारे में फिर घमासान मचा और विपक्ष ने सत्ता पक्ष को निशाने पर लिया है.
गोपालगंज, बेतिया,मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर समेत कई जगहों से जहरीली शराब पीने से मौत के मामले जब सामने आये तो हड़कंप मच गया. मामले ने इस कदर तूल पकड़ा कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को आगे आना पड़ा. उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई करें.
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रदेश के कई जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू हुई. शराब बनने के कई ठिकानों पर रेड मारा गया और भट्ठियों को ध्वस्त किया गया. कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. सियासी बयानबाजी भी तेज है लेकिन सवाल अभी भी सामने है कि क्या इन एक्शन भर से इसका समाधान संभव है. गौरतलब है कि इससे पहले भी सरकार के निर्देश पर इस तरह की कार्रवाई की जा चुकी है. लेकिन माफियाओं के हौसले आज भी बुलंद हैं.
कुछ महीने पहले एक निजी न्यूज चैनल पर शराब के काले कारोबार का स्टिंग किया गया था. इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि विधानसभा में भी इसकी गूंज उठी. विपक्ष हमलावर रहा. सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी की और कार्रवाई के निर्देश दिये थे. आज के तरह ही तब भी ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई थी. कई जगहों पर शराब बनाने वाली भट्ठियां भी ध्वस्त की गईं. लेकिन फिर भी आज वही स्थिति बनी हुई है.
दरअसल, कार्रवाई के नाम पर थानेदार और चौकीदार स्तर के कर्मियों पर गाज गिरने को भी एक मुद्दा बनाया जाता रहा है. पुलिस की मिलीभगत के भी कई मामले सामने आए हैं. वहीं एक तरफ जहां सूबे में छापेमारी चल रही थी वहीं दूसरी तरफ पुलिस के जवान ही शराब पीते धरे गये. कइ लोगों की ये मांग रही है कि जिला में इस तरह सरेआम काले कारोबार को पांव पसारने के मामले में डीएम और एसपी स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने अभी के गरमाये मामले में भी इसकी मांग की है.उन्होंने ट्वीट कर डीएसपी और एसडीएम को भी निलंबित करने की मांग की है.
Published By: Thakur Shaktilochan