पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव 2003 में जनता दल बनने के बाद से लंबे समय तक पार्टी के अध्यक्ष रहे. वह सात बार लोकसभा सांसद भी रहे. पिछले कुछ वक्त से वह सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आ रहे थे. शरद यादव ने मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया था. दो बार वह मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गये. एक बार उत्तर प्रदेश के बदायूं से लोकसभा पहुंचे.
तीन राज्यों से सांसद चुने जाने वाले पहले राजनेता थे शरद
शरद यादव शायद भारत के पहले ऐसे राजनेता थे, जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा के लिए चुने गये थे. वह इमरजेंसी के दौरान जेल भी गये थे. समाजवाद कते प्रति उनकी आस्था आजीवन रही. डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. इस महान नेता ने अपने कई दशक की राजनीति में काफी कुछ देखा है.
लालू और मुलायम के साथ शुरू किया राजनीतिक जीवन
अपने राजनीतिक जीवन का आगाज शरद यादव ने लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव के साथ शुरू किया. वे इंजीनियर भी थे. 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वे जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये. छात्र राजनीति के साथ वे पढ़ाई में भी अग्रणी रहे और बीई (सिविल) में गोल्ड मेडल जीता. पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद उनके जीवन में राजनीतिक विचारधारा बलवती रही. यही कारण रहा कि आम जनमानस के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत के चलते उन्होंने राजनीति को ही अपना ध्येय बनाया.
अपनी पार्टी का राजद में कर दिया था विलय
शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का 20 मार्च 2022 को राष्ट्रीय जनता दल में विलय हुआ था. उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. वहीं, उनकी बेटी ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. हालांकि वह पराजित हो गयी थीं.
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