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Shardiya Navratri 2024: बंगाली अखाड़ा में आज होगा बोधन, कल होगी प्राण प्रतिष्ठा

Shardiya Navratri 2024 दुर्गा उत्सव के रंग में राजधानी रंग चुकी है. उल्लास से शहर सराबोर होने लगा है. हर तरफ मां दुर्गा के भक्ति गीतों और ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः...’ के मंत्र से पंडाल गूंजने लगे हैं. सड़कों और गलियों में रंग-बिरंगी लाइट जगमगाने लगी हैं. मां की प्रतिमा और पूजा पंडालों को कलाकार अब अंतिम रूप देने में लगे हैं. वहीं शहर के बंगाली अखाड़ा में आज होने वाले आदिशक्ति के अभिनंदन (बोधन) की तैयारी पूरी हो चुकी है. यहां कल प्राण प्रतिष्ठा के साथ देवी का पट खोल दिया जायेगा.

सुबोध कुमार नंदन @पटना
Shardiya Navratri 2024 शहर में इन दिनों दुर्गा पूजा का उल्लास देखते ही बन रहा है. पूजा समितियों ने एक से बढ़कर एक पूजा पंडालों का निर्माण कराया है, जिसका लुत्फ श्रद्धालु कल से उठायेंगे. बंगाली समाज की प्राचीन परंपरा के अनुसार इस वर्ष नौ अक्तूबर यानी षष्ठी पूजा के साथ ही बांग्ला पूजा पंडालों में विराजमान मां दुर्गा के पट खुलेंगे. इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.


पटना में बंगाली समुदाय की ओर से लगभग दस पूजा पंडाल बनाये जाते हैं. जहां सौ साल से अधिक वर्षों से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती रही हैं. इनमें श्री रामकृष्ण मिशन (नाला रोड), बंगाली अखाड़ा (लंगर टोली), पटना रिक्रिएशन क्लब (नया टोला भिखना पहाड़ी),कंकड़बाग सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति (एसबीडी स्कूल ग्राउंड हाउसिंग कॉलोनी), गुलजारबाग दुर्गा पूजा (गायघाट गुरुद्वारा के पीछे), आर ब्लॉक (पीटएनटी कॉलोनी), अदालतगंज दुर्गा पूजा (अदालतगंज), छज्जूबाग सार्वजनिन दुर्गा पूजा कमेटी (बुद्ध मार्ग), पटना कालीबाड़ी (यारपुर) आदि पंडालों में नौ अक्तूबर को पूजा शुरू होगी. इसके साथ ही बांग्ला पूजा पंडालों में ढाक के मद्धम स्वर से पंडाल परिसर गूंज उठेगा. खास बात कि इन पूजा पंडालों में पूजा का विशेष विधान है. सात समंदर के जल एकत्र कर माता की पूजा होती है.

कुमारी पूजन के लिए एक साल पहले होता है चयन
बंगाली पूजा पंडाल में पूजा के दौरान देवी दुर्गा की पूजा विभिन्न रूपों में की जाती है. इन रूपों में सबसे प्रसिद्ध रूप है कुमारी. देवी के इस रूप की पूजा के लिए दस साल से कम आयु की लड़की का चयन किया जाता है और उनकी पूजा आरती की जाती है. पटना में बंगली अखाड़ा (लंगर टोली) और श्री रामकृष्ण मिशन आश्रम (नाला रोड) में कुमारी पूजा विशेष रूप में किया जाता है. इस पूजा को देखने के लिए दोनों जगह हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है. बंगाली अखाड़ा के वरीय सदस्य अमित सिन्हा ने बताया कि कुमारी पूजन के लिए कुंवारी का चयन एक साल पहले ही हो जाता है. कुमारी पूजा के लिए लड़की चुनने में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. सैद्धांतिक रूप से कोई भी युवती अर्हता प्राप्त कर सकती हैं. हालांकि, आमतौर पर एक ब्राह्मण लड़की को चुना जाता है. जिस लड़की के मां-बाप पहले आते हैं, उन्हें ही मौका मिलता है.

कन्या पूजन के लिए किया गया है श्रीजा मुखर्जी का चयन
अमित सिन्हा ने बताया इस बार जयदीप मुखर्जी की बेटी श्रीजा मुखर्जी (पांच वर्षीय ) का चयन कन्या पूजन के लिए किया गया है. यह पूजा 20 से 30 मिनट तक चलता है. श्रद्धालु मां के रूप में पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं. इससे पहले कन्या को अच्छी तरह से सजाया -संवारा जाता है. फूल का मुकुट और गहने पहनाकर सिंहासन पर बैठाया जाता है. पूजा के बाद मिठाई खिलाया जाता है. साथ ही सगुन के रूप में वस्त्र और सोने -चांदी के गहने दिया जाता है.


वहीं श्रीरामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सर्व विद्यानंद ने बताया कि कुमारी पूजन के लिए चार से सात साल की लड़की का चयन किया जाता है. पर यह ध्यान रखा जाता है कि वह दिव्यांग न हो. यहां इस बार सौरभ चक्रवर्ती की पांच वर्षीय पुत्री श्रीनिका चक्रवर्ती का चयन किया गया है. कुमारी पूजा का बंगाल से गहरा सामाजिक-धार्मिक संबंध है. बंगाल पुनर्जागरण के एक प्रमुख व्यक्तित्व, श्री रामकृष्ण परमहंस अपनी पत्नी और आध्यात्मिक पत्नी, शारदा देवी की दिव्य मां की अभिव्यक्ति के रूप में पूजा करते थे. बाद में, बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन मठ व्यवस्था की स्थापना के बाद, स्वामी विवेकानन्द ने दुर्गा पूजा के दौरान कुमारी पूजा की प्रथा को जारी रखा.

सभी पूजा पंडालों का 10 को खुलेगा पट
दुर्गा उत्सव को लेकर श्रद्धालु अपनी सामर्थ्य से भगवती की आराधना में लीन हैं. अहले सुबह से ही दुर्गा सप्तशती के पाठ की मधुर ध्वनि गली-गली से सुनायी देने लगती हैं. पूजा-पंडालों में पूजा समितियों द्वारा पंडालों एवं मूर्ति की सजावट को अंतिम रूप देने के लिए दिन-रात लगे हुए है. बाजारों में पूजन सामग्री, फलाहार का सामान, फल, फूल, सजावट, वस्त्र आदि के दुकानों में भीड़ उमड़ रही है.

आश्विन शुक्ल महासप्तमी में 10 अक्तूबर गुरुवार को सभी पूजा पंडालों, मंदिरों एवं घरों में माता का पट खोला जायेगा. फिर देवी के दिव्य, अनुपम, विहंगम और मनोहारी दर्शन कर श्रद्धालु निहाल होंगे. इसी दिन देवी के सप्तम रूप में माता कालरात्रि की पूजा और मध्य रात्रि में महानिशा पूजा होगी. कालरात्रि माता के नाम मात्र से ही भूत,प्रेत,राक्षस व सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश, ग्रह-बाधाओं, शत्रुओं से भी छुटकारा दिलाती है. इनके उपासक को अग्नि-भय,जल-भय,जंतु-भय,शत्रु-भय,रात्रि-भय नहीं होता है.

महाष्टमी व महानवमी का व्रत 11 को
ज्योतिष राकेश झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र के अंतर्गत महाष्टमी और महानवमी का व्रत एक ही दिन 11 अक्तूबर शुक्रवार को किया जायेगा. इसी दिन संधि पूजा, श्रृंगार पूजा, संकल्पित पाठ का समापन, हवन, पुष्पांजलि व कन्या पूजन होगा. इस दिन भगवती को नाना प्रकार के पत्र व पुष्पों से भव्य श्रृंगार, वस्त्र-उपवस्त्र, इत्र, शृंगार सामग्री, आभूषण आदि चढ़ाकर, कई तरह के व्यंजनों का भोग, मिष्ठान्न, ऋतुफल, मेवा का प्रसाद अर्पित कर महाआरती होगी. फिर पुरे दिन नवरात्र में हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा मांगते हुए नम आंखो से माता को खोइछा दिया जायेगा.

दोनों दिन होगी कुष्मांडा की पूजा
आचार्य राकेश झा ने बताया कि शारदीय नवरात्र में चतुर्थी तिथि दो दिन है. जिसमें पहला कल रविवार को था और दूसरा आज सोमवार को चतुर्थी तिथि ही विद्यमान है. इस दोनों दिन में माता के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा होगी. आज सोमवार को अनुराधा नक्षत्र, आयुष्मान योग के साथ जयद् योग, रवियोग एवं अति लाभकारी सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. माता कूष्माण्डा की उपासना से आधि-व्याधियों से मुक्ति व सुख-समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाती है. इसीलिए लौकिक, पारलौकिक उन्नति की कामना के लिए कूष्माण्डा देवी की उपासना उत्तम है.

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