कृषि उद्योग विकास समिति ने विस को सौंपा प्रतिवेदन संवाददाता, पटना बिहार विधान सभा की कृषि उद्योग विकास समिति ने विधानसभा को सौंपे अपने प्रतिवेदन में रैयत एवं गैर-रैयत किसानों को लेकर बड़ा खुलासा किया है. प्रतिवेदन के अनुसार बिहार में खेती घाटे का सौदा होते जा रही है. जिन भू-स्वामियों या भू-धारी किसानों के पास दूसरे रोजगार हैं वे खेती नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपनी खेती बटाई पर लगा रहे हैं. कल के खेत मजदूर आज बटाईदार किसान के रूप में खेती कर रहे हैं. राज्य के कुल खेती का 38 प्रतिशत भू-भाग बटाईदार किसान ही जोतकर आबाद कर रहे हैं. लेकिन विडबंना यह है कि कृषि पहचान-पत्र के अभाव में कृषि पर दी जाने वाले विभिन्न तरह की सब्सिडी और सहायता का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है. समिति ने अपने प्रतिवेदन में सरकार को आगाह किया यदि बटाईदार किसान कृषि पहचान-पत्र देकर तमाम कृषि योजनाओं से लाभान्वित नहीं किया गया तो बिहार के खेती पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.विधान सभा के 12 सदस्यीय इस समिति के सभापति भाकपा माले के विधायक सुदामा प्रसाद थे. बिहार में रैयत एवं गैर-रैयत किसानों की कुल संख्या 1.98 करोड़ है . समिति ने कई जिलों का लिया जायजा समिति के सदस्यों ने 17 जनवरी और 28 जुलाई, 2023 द्वारा क्रमशः राज्य के भोजपुर (आरा), बक्सर, कैमूर, रोहतास, कटिहार, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सुपौल, मधुबनी, गया, जहानाबाद, लखीसराय, मुंगेर, जमुई, बांका, भागलपुर, खगड़िया, समस्तीपुर और वैशाली जिलों की स्थल अध्ययन यात्रा की. समिति ने अपने प्रतिवेदन में डी.बंदोपाध्याय नेतृत्व में बनी भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए कहा है कि कृषि घाटे में जा रही है . बिहार की खेती को अगर प्रोत्साहित करना है तो बटाईदार किसानों का रजिस्ट्रेशन और उनको पहचान-पत्र देने की व्यवस्था करनी होगी.
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