राजदेव पांडेय, पटना. बिहार के विश्वविद्यालय में शिक्षक और गैर शैक्षिक कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं. प्रदेश में बढ़ती नामांकन दर की तुलना में प्रदेश के विश्वविद्यालयों / सरकारी कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों की संख्या में इजाफा नगण्य ही है. प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पिछले ढाई सालों में केवल 150 नियमित शिक्षक मिल सके. शिक्षकों के अभाव के संदर्भ में शिक्षा विभाग को हाल ही में सौंपी गयी एक विशेष ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालयों में स्वीकृत पदों की तुलना में शिक्षकों की 54.88% (55%) और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की 56 % की कमी है. शिक्षा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि विश्वविद्यालयों में अभी समुचित संख्या में अतिथि अथवा अंशकालिक शिक्षक नियुक्त नहीं हो सके हैं.
जानकारी के मुताबिक महालेखाकार की तरफ से शिक्षा विभाग की एक प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 7614 पदों में से 4179 पद खाली हैं. शैक्षणिक सत्र 2023-24 में इन शिक्षकों की कमी होने की संभावना भी नहीं दिख रही है. यह देखते हुए कि सहायक प्राध्यापकों की साक्षात्कार प्रक्रिया कब शुरू होगी?, अभी अनिश्चित है. जानकारी हो कि 23 सितंबर 2020 में 52 विषयों में 4638 पदों के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने साक्षात्कार के लिए आवेदन मांगे थे, इसमें पिछले माह तक अर्थात करीब ढाई साल में केवल 150 ही सहायक प्राध्यापक नियुक्त हो सके. फिलहाल नियुक्तियां अब रुकी हुई हैं. संभवत: साक्षात्कार प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू होगी.
ऐसे में विश्वविद्यालयों को अतिथि/ अंशकालिक शिक्षकों से ही काम चलाना पड़ेगा. हालांकि उसमें भी योग्य शिक्षकों का अभाव दिख रहा है. ऑडिट रिपोर्ट से परे शिक्षा विभाग की एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में स्वीकृत 10127 शिक्षकों के विरुद्ध 2464 अतिथि/ अंशकालिक शिक्षक ही 2022-23 में नियुक्त किये जा सके. हालांकि विश्वविद्यालयों ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए अतिथि/ अंशकालिक शिक्षकों की प्रक्रिया फिर से तेज की है. अधिकतम विश्वविद्यालय इस कवायद में लगे हैं.
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की तरफ से नियुक्ति की प्रक्रिया धीमी चलने की वजह से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने के निर्देश शिक्षा विभाग ने जारी किये थे. जिसमें कहा गया है कि जब तक नियमित सहायक प्राध्यापक मिल नहीं जाते, तब तक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर ली जाये. हालांकि जैसे-जैसे नियमित शिक्षक मिलते जायेंगे, अतिथि शिक्षकों को हटा दिया जायेगा. अतिथि शिक्षकों को अधिकतम 50 हजार रुपये दिये जाने हैं. इन शिक्षकों को पंद्रह सौ रुपये प्रति क्लास दिया जाना है.
-
विश्वविद्यालय- स्वीकृत पद – कार्यरत अतिथि/अंशकालिक शिक्षकों की संख्या
-
पटना विवि – 590- 257
-
मगध विवि- 936- 00
-
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विवि -1580 -392
-
जेपी विवि- 778-159
-
वीर कुंंवर सिंह विवि- 861-84
-
बीएन मंडल विवि – 546- 176
-
तिलका मांझी भागलपुर विवि- 689-126
-
ललित नारायण मिथिला विवि- 1619- 906
-
केएसडीएस विवि – 271-86
-
एमएमएचए विवि- 56-27
-
पाटलिपुत्र विवि- 1251- 177
-
पूर्णिया विवि- 478- 74
-
मुंगेर विवि- 472-00
आधिकारिक ऑडिट दस्तावेजों के मुताबिक टीमबीयू में 491, एलएमएमयू में 1419, बीएनएमयू में 423, जेपीयू में 607, पीपीयू में 773, पीयू में 405, केएसडीयू में 177, एकेयू में 32, एमएमएचएपीयू 17 और वीकेएसयू में 117 नन टीचिंग स्टॉफ की कमी है. इस तरह कुल 4461 नन टीचिंग स्टाफ की कमी है.
Also Read: नालंदा में 24000 क्विंटल चावल के घोटाले का खुलासा, 25 पैक्स अध्यक्षों की गिरफ्तारी का आदेश, जानें पूरी बात
बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के शैक्षणिक सलाहकर प्रो एन के अग्रवाल बताते हैं कि सहायक प्राध्यापकों की कमी के मद्देनजर शिक्षा विभाग के मार्गदर्शन के बाद अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. नियुक्त किये जा रहे अतिथि शिक्षकों की वजह से उच्च कक्षाओं में पठन-पाठन चलता रहेगा. अकादमिक गतिविधियां चलती रहेंगी. विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग इस दिशा में गंभीर हैं.
-
4179 पद खाली हैं प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 7614 पदों में से
-
4638 पदों के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने साक्षात्कार के लिए आवेदन मांगा था
-
150 ही सहायक प्राध्यापक नियुक्त हो सके करीब ढाई साल में
-
2464 अतिथि शिक्षकों के की बहाली हो पायी विश्वविद्यालयों में