पटना. बार-बार आदेश के बाद भी राज्य में अपार (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री ) आइडी निर्माण में राज्य की औसत प्रगति केवल 5.54% है. जबकि बच्चों की अपार आइडी अभी तक बन जानी चाहिए थी. प्रत्येक जिले में इसके लिए डीइओ को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. प्रथम दृष्टया इनकी लापवारही से यह काम रुका हुआ-सा है. इन परिस्थितियों में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने 25 जिलों के नोडल पदाधिकारी सह डीइओ को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिये हैं. राज्य परियोजना निदेशक योगेंद्र सिंह ने पटना, सारण, बक्सर, गया, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, कटिहार, किशनगंज, मधुबनी, सहरसा, जहानाबाद, शिवहर, सीतामढ़ी, भोजपुर, बेगूसराय, जमुई, गोपालगंज, लखीसराय, पश्चिमी चंपारण, अररिया, अरवल, बांका, सिवान, मुजफ्फरपुर और मधेपुरा के डीइओ को नोटिस जारी किये गये हैं. इन नोटिस का जवाब दो दिसंबर तक देना है. परियोजना निदेशक योगेंद्र सिंह ने अपने आधिकारिक नोटिस में कहा है कि क्यों न आप सब के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये. कहा है कि 16 नवंबर को इस मामले में कहा गया था कि अभियान चलाकर अपार आइडी का निर्माण कराया जाये.
क्या है अपार आइडी के मायने और उपयोगिता
यह छात्रों के लिए एक डिजिटल पहचानहै. यह प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्रों की शैक्षणिक योग्यता, क्रेडिट स्कोर, प्रमाणपत्र और अन्य शैक्षणिक डेटा को डिजिटल रूप से संग्रहित रहेंगे. एपीएएआर (अपार) आईडी प्रणाली में नामांकन के लिए छात्रों को अपने माता-पिता की सहमति लेनी होती है. कुल मिलाकर अपार आइडी कार्ड स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई की एक तरह से डिजिटल कुंडली होगी. ‘अपार कार्ड’ में बच्चों का 12 अंकों का एक ऐसा आइडी कार्ड बनाया जायेगा.जिसमें विद्यार्थियों के बचपन से लेकर उनकी पढ़ाई खत्म होने तक की जानकारी स्थायी रूप में दर्ज होगी. स्कूल बदलने के बाद भी अपार आइडी एक ही रहेगी. आइडी वाले बच्चों को कई तरह की सुविधाओं में छूट मिल सकती है.
फैक्ट फाइल
राज्य में कुल स्कूलों की संख्या- 96944अपार बनाने का काम शुरू कर चुके स्कूल – 29910
बनाये जाने हैं अपार कार्ड- 1.49 करोड़डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है