Sawan 2022: जयद योग के युग्म संयोग में आरंभ हुआ सावन का पावन महीना, बरसेगी शिव कृपा
पौराणिक मान्यता है कि श्रावण मास में हुए समुद्र मंथन से निकले हलाहल का पान सोमवार को ही शिव ने किया था. शिव अपने सिर पर सोम (चंद्रमा) को धारण करते हैं. हलाहल के प्रभाव को कम करने के लिए लंका के राजा दशानन ने महादेव का जलाभिषेक किया था, और तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी.
वेद: शिव: शिवो वेद: ,अर्थात ‘वेद ही शिव हैं और शिव ही वेद हैं, शिव वेद स्वरूप हैं’.दैवज्ञ ज्योतिषी डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि वैसे तो श्रावण मास का प्रत्येक दिन पवित्र माना जाता है, पर सोमवार को विशेष पूजा होती है. पौराणिक मान्यता है कि श्रावण मास में हुए समुद्र मंथन से निकले हलाहल का पान सोमवार को ही शिव ने किया था. शिव अपने सिर पर सोम (चंद्रमा) को धारण करते हैं. हलाहल के प्रभाव को कम करने के लिए लंका के राजा दशानन ने महादेव का जलाभिषेक किया था, और तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी
आज शुरू हुआ सावन मास
शिव के मनभावन व अति प्रिय सावन मास गुरुवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, वैधृति योग के साथ जयद योग के युग्म संयोग में आरंभ हो रहा है. सावन का पावन महीना शुभ व विशेष संयोग के साथ 14 जुलाई से शुरू होकर से 12 अगस्त को खत्म होगा. हिन्दू धर्म में सावन महीने का खास महत्व है. इस महीने में सोमवार को व्रत रखने एवं महादेव की पूजा करने वाले जातक को मनवांछित जीवनसाथी प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. सावन का पवित्र मास गुरुवार से आरंभ होकर शुक्रवार को खत्म होगा.
सावन में महादेव आते हैं ससुराल
आचार्यराकेश झा ने बताया कि पुराणों के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन महीने में कठोर तप किया था.इस पूरे मास में घरों, शिवालयों तथा ज्योतिर्लिंगों में विशेष पूजा-अर्चना किया जाता है. स्फटिक शिवलिंग, पार्थिव शिवलिंग, पारद शिवलिंग, नर्मदेश्वर शिवलिंग के अलावे भी कई अन्य पदार्थो से निर्मित व प्रतिष्ठित शिवलिंग की पूजा व श्रृंगार किया जाता है.
विशेष फल के लिए ऐसे करें आराधना
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संतान सुख की प्राप्ति के लिए- दूध से अभिषेक
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शिव भक्ति के लिए- गंगाजल से अभिषेक
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उत्तम वर की प्राप्ति के लिए- सावन सोमव्रत
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आरोग्य, सुख व व्याधियों से निवृत्ति के लिए –
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महामृत्युंजय मंत्र का जाप
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आर्थिक समृद्धि के लिए- गन्ने के रस से अभिषेक
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ऐसे रखें सोमवारी व्रत
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सोमवार व्रत के तीन प्रकार हैं. सोमवार, सोलह सोमवार, सौभ्य प्रदोष. परंतु व्रत को श्रावण मास में आरंभ करना शुभ माना जाता है. व्रत सोमवार सूर्योदय से प्रारंभ होकर तीसरे पहर तक रखा जाता है. कुछ भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला रहते हैं. कुछ फलाहार करते हैं तो कुछ नमक रहित भोजन. सोमवार व्रत की कथा सुनी जाती है, आरती व प्रसाद वितरण किया जाता है. सोमवारी व्रत से नयी ऊर्जा व शक्ति मिलती है.