नवरात्रि के नौ दिन के बाद विजयदशमी को मां दुर्गा की विदाई की जाती है. इस दिन बंगाली समुदाय द्वारा कई तरह की रस्में निभाई जाती है. इसमें से एक है सिंदूर खेला जो सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए निभाती हैं. बंगाली रीति रिवाज में सिंदूर खेला का अपना ही महत्व है. पटना के यारपुर काली बाड़ी, लंगरटोली बंगाली अखाड़ा, अदालतगंज बंगाली अखाड़ा, पीडब्लूडी छज्जूबाग, आर ब्लाक बंगाली अखाड़ा में भी धुनुची नृत्य और सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है.
बंगाली रीति रिवाज के अनुसार षष्ठी को मां का पट खुलने के बाद से दुर्गा पूजा का आरंभ होता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा अपने पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ धरती पर आती हैं. पांच दिनों तक मां की पूजा उपासना करने के बाद विजयदशमी को मां को सिंदूर अर्पित कर विदा किया जाता है. इसी को सिंदूर खेला कहा जाता है.
सिंदूर खेला की ये परंपरा 450 वर्ष पहले पश्चिम बंगाल से शुरू हुई थी. इसके साथ ही नवरात्रि के आखिरी दिन बंगाली समुदाय के लोग धुनुची नृत्य से मां को प्रसन्न करते हैं. इस वर्ष विजय दशमी 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसी दिन सुहागिन महिलाएं सिंदूर खेला कर मां को विदाई देंगी. इस परंपरा का निर्वहन करने से महिलाओं को सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है.
पटना के यारपुर काली बाड़ी, लंगरटोली बंगाली अखाड़ा, अदालतगंज बंगाली अखाड़ा, पीडब्लूडी छज्जूबाग, आर ब्लाक बंगाली अखाड़ा में बंगाली पूजा पद्धति पर महाअष्टमी और नवमी तिथि के दिन धुनुची नृत्य का भव्य आयोजन किया जायेगा.
पटना कालीबाड़ी मंदिर में दशमी तिथि को सुबह 10 बजे के बाद मंदिर परिसर में सिंदूर खेला कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. वहीं सोमवार अष्टमी तिथि को दोपहर साढ़े तीन बजे से चार बजे के बीच संधि पूजा का आयोजन, ईख व भतुआ की बलि दी जायेगी. इसके साथ ही इस दौरान 108 दीपक मंदिर परिसर में जलाए जायेंगे.