पटना के गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में भारत-रत्न मदन मोहन मालवीय की जयंती और भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर बुधवार को ‘मैं अटल रहूंगा’ कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में लोकगायिका देवी को ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ गाने पर माफी मांगनी पड़ी. कार्यक्रम में देवी ने ‘भारत माता की जय’ और ‘अटल बिहारी वाजपेयी अमर रहे’ के नारे लगाये. इसके बाद उन्होंने जब यह भजन गाया तो सभागार में मौजूद कार्यकर्ता नाराज हो गए. कार्यक्रम का माहौल गरम हो गया. अंत में देवी को माफी मांगना पड़ा.
देवी ने गाया ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ तो भड़क गए युवा कार्यकर्ता
दरअसल, पटना में आयोजित इस कार्यक्रम में गायिका देवी ने भजन प्रस्तुत किया, जिसके बोल थे ‘रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम’. इसे गाते हुए देवी ने जब ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ गुनगुनाना शुरू किया, तो सभागार में मौजूद करीब 60-70 युवा कार्यकर्ता नाराज हो गये. इसके बाद सभी अपने स्थान पर खड़े होकर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने लगे. इस पर गायिका देवी ने कहा कि भगवान हम सभी के हैं और उनका उद्देश्य केवल राम को याद करना था.हालांकि, इसका असर नहीं हुआ, तो आयोजकों ने बीच में हस्तक्षेप किया.
जब देवी को कहना पड़ गया – ‘सॉरी’
आयोजकों के हस्तक्षेप से भी जब बात नहीं बनी, तो देवी ने भारतीय संस्कृति के संदर्भ में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का उल्लेख किया और कहा कि हिंदू ही हैं, जो सभी को अपने भीतर समाहित करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस भजन से आपको ठेस पहुंचने की कोई बात नहीं है. अगर आपके दिल को ठेस लगी है, तो मैं सॉरी कहती हूं. इसके बाद भी लोग संतुष्ट नहीं हुए और नारे लगाते हुए बाहर निकलने लगे. इस पर देवी ने भी ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया. फिर आयोजकों ने मंच से कहा कि भारत मां की हम सभी संतान हैं. इस तरह से हम अपना परिचय नहीं देते हैं.
शारदा सिन्हा का गीत गाकर देवी को जाना पड़ा
मंच पर उस समय करीब 20-25 गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. अंत में देवी ने शारदा सिन्हा को याद करते हुए ‘छठी मैया आई ना दुअरिया’ गाया और कार्यक्रम से चली गयीं, क्योंकि उन्हें मुंबई के लिए अपनी फ्लाइट पकड़नी थी.
विवाद को लेकर क्या बोलीं देवी?
वहीं बाहर पत्रकारों से बातचीत में इस प्रकरण को लेकर देवी ने कहा कि सबकी अलग-अलग भावनाएं होती हैं. मैंने जो गाना गाया वो पूरे भारत में गाया जाता है. सभी धर्मों में एकता होनी चाहिए. मानवता सबसे बड़ा होता है. मैं उसी धर्म को मानती हूं. लेकिन यहां जो लोग आए उनमें कई लोगों को अल्लाह शब्द से दुख पहुंचा पर उन्होंने पूरी लाइन नहीं सुनी जिसमें मैंने ईश्वर-अल्लाह कहा था. अगर किसी को दुख पहुंचा तो सॉरी. लेकिन मानवता का धर्म अपनाइए.