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एसके सिंघल से दोबारा हो सकती है पूछताछ

बिहार पुलिस की जांच एजेंसी आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) सिपाही भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में पूर्व डीजीपी एसके सिंघल से दोबारा पूछताछ की तैयारी कर रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 3, 2024 12:36 AM

संवाददाता, पटना. बिहार पुलिस की जांच एजेंसी आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) सिपाही भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में पूर्व डीजीपी एसके सिंघल से दोबारा पूछताछ की तैयारी कर रही है. श्री सिंघल सिपाही भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष थे.सूत्रों के मुताबिक इओयू अब केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष संजीव कुमार सिंघल को दोबारा नोटिस भेज कर पूछताछ करने को बुला सकती है. पेपर लीक का खुलासा होने के बाद इओयू को कई ऐसी जानकारियां मिली है, जिसकी तत्कालीन अध्यक्ष के स्तर पर पुष्टि जरूरी है. मसलन पेपर लीक के मुख्य आरोपी संजीव मुखिया उर्फ लूटन मुखिया को प्रश्न पत्र छापने व लॉजिस्टिक उपलब्ध कराने वाली कंपनी की जानकारी कैसे मिली? जिस कंपनी को यह जिम्मेदारी दी गयी, उसके मृतप्राय होने की पड़ताल क्यों नहीं की गयी? एकरारनामा करने के बावजूद चयनित कंपनी ने थर्ड पार्टी को काम कैसे दिया? इसकी जानकारी पर्षद को थी या नहीं? इसके सहित कई अन्य सवाल भी हैं, जिनकी जानकारी इओयू को प्राप्त करनी है. कुछ मसले अभी भी अनसुलझे इओयू ने शिक्षक बहाली पेपर लीक और सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले का प्रारंभिक खुलासा कर दिया है. इन दोनों मामलों में पेपर लीक के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया और उसके बेटे डॉ शिव की भूमिका सामने आ चुकी है. पेपर लीक करने के तरीकों से लेकर इसके नेटवर्क और गैंग का भी खुलासा हो चुका है. बावजूद दोनों पेपर लीक से जुड़े कई ऐसे प्रश्न हैं, जिनकी इओयू को तलाश है. मसलन प्रश्न पत्र छपने व लॉजिस्टिक उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की जानकारी पेपर लीक माफियाओं तक कैसे पहुंची. बीपीएससी को तीन से चार बार पत्र लिख मांगी गयी जानकारी: शिक्षक बहाली फेज तीन पेपर लीक मामले में प्रश्न-पत्र की छपाई से लेकर ढुलाई तक की जानकारी डा. शिव के गिरोह को कैसे लगी? इसकी जानकारी अब तक नहीं निकल पायी है. जांच में सहयोग के लिए इओयू ने बीपीएससी को तीन से चार बार पत्र लिखा है, जिसमें विज्ञापन से लेकर परीक्षा संचालन तक की चेन की जानकारी मांगी गयी. किसके पास कौन सी जवाबदेही थी, यह पूछा गया. पर गोपनीयता का हवाला देकर बीपीएससी इसकी स्पष्ट जानकारी देने से बच रहा है. ऐसे में जानकारी नहीं मिलने पर इओयू कानूनी प्रक्रिया अपना सकता है.

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