बिहार में इन पार्टियों के बिना नहीं लड़ा जा सकता लोकसभा चुनाव, बड़ा असर डालने की कोशिश में छोटे दल

2024 के लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही बिहार के छोटे दल के नेता चुनावी मैदान में अपना प्रभाव डालने लगे हैं, जहां से संसद के निम्न सदन के लिए 40 सदस्य चुनकर आते हैं. चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी इन नेताओं की लिस्ट में हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2023 5:30 PM
an image

मिशन 2024 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में बिहार के कई छोटे दल आगामी चुनाव में राज्य की 40 सीट पर बड़ा प्रभाव डालने लगे हैं. विशेषज्ञों की राय में चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी संभवत: उन नेताओं में नहीं हैं हैं जो बिहार के चुनावी समीकरण को बदल सकते हों.

नतीजों में फेरबदल करने की संभावना रखते हैं चिराग 

चिराग पासवान मतदाताओं के एक धड़े का प्रतिनिधित्व करते हैं जो पारंपरिक रूप से उनके पिता और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक राम विलास पासवान के प्रति निष्ठा रखते हैं जबकि अन्य तीन नेताओं ने अब तक उस तरह से अपने प्रभाव को साबित नहीं किया है. लेकिन इसके बावजूद वे अपने पक्ष में दावे करने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि वे अपने छोटे जनसमर्थन आधार के कारण दो प्रमुख गठबंधनों की लड़ाई में नतीजों में फेरबदल करने की संभावना रखते हैं.

बिहार भाजपा के लिए चुनौती 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राजग से बाहर और विपक्षी खेमे में जाने के साथ बिहार वह राज्य बन गया है जहां पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. राष्ट्रीय जनता दल (राजद)- वाम और कांग्रेस के साथ सामाजिक रूप से कई जातियों का समर्थन है और जिनमें मुस्लिमों के अलावा कुछ मजबूत पिछड़ी जातियां है. ऐसे में भाजपा इन छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर विपक्षी खेमे में सेंध लगाने को प्रतिबद्ध है क्योंकि इन पार्टियों के मत बहुत अहम साबित हो सकते हैं और अब यह होता भी दिख रहा है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने नई पार्टी पर कुशावाहा को दी थी बधाई 

हाल में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशावाहा ने कहा कि वह भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बजाय मरना पसंद करेंगे. लेकिन अब वह वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई चुनौती नहीं देखते और जदयू से अलग होने के बाद भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने उन्हें बधाई दी.

मांझी ने अपने बेटे को बताया सीएम का दावेदार 

राज्य के कुछ हिस्सों में दलितों के एक धड़े का समर्थन प्राप्त करने वाले मांझी फिलहाल तो नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन वह लगातार विरोधाभासी संकेत दे रहे हैं. नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि वर्ष 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजद नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नेतृत्व करेंगे जिसके बाद मांझी ने दावा किया कि उनके बेटे संतोष कुमार सुमन, जो बिहार सरकार में मंत्री हैं, खुद को किसी भी अन्य दावेदार से बेहतर मुख्यमंत्री साबित करेंगे. राजनीति में पारंगत मांझी जोर दे रहे हैं कि जो भी नीतीश कुमार फैसला लेंगे वह उनके साथ जाएंगे लेकिन यह भी तथ्य है कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया था.

मुकेश सहनी को केंद्र ने दी ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा

बिहार की राजनीति में सहनी छोटी पार्टियों की रणनीति के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. कारोबार से राजनीति में आए सहनी विकाशसील इंसान पार्टी (वीआईपी) का नेतृत्व कर रहे हैं और उनके तीन विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद वह भगवा पार्टी के मुखर आलोचक रहे हैं और अकसर नीतीश कुमार के पक्ष में बोलते हैं. हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा हाल में उन्हें ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराए जाने के बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि भाजपा उन्हें अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है.

ये नेता कई बार बदल चुके पाला 

कुशवाहा संख्या बल से मजबूत कोइरी-कुशवाहा पिछड़ी जाति से आते हैं जबकि मांझी और सहनी विभिन्न पिछड़ी उपजातियों के नेता के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं और पूर्व में लगातार रुख बदलते रहे हैं. अपने पिता रामविलास पासवान की समृद्ध विरासत पर दावा करने वाले चिराग पासवान वर्ष 2014 से ही भाजपा के पक्ष में रहे हैं लेकिन इस युवा और महत्वकांक्षी नेता ने अगले लोकसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. पासवान नीतीश कुमार के आलोचक रहे हैं लेकिन उनका मुखर रूप राजद और उसके नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ देखने को नहीं मिला है.

कुशवाहा के करीबी सहयोगी फजल इमाम मल्लिक बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार के विरोध को तो सामने रखते हैं लेकिन 2024 के चुनाव में पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर कहते हैं कि फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा कि बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जायसवाल की नयी पार्टी बनाने के बाद मुलाकात शिष्टाचार भेंट थी और इसके अन्य मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.

Also Read: महागठबंधन की पूर्णिया रैली : तेजस्वी यादव का BJP पर करारा अटैक, बोले- भाजपा नेता लीडर नहीं, डीलर बन गए हैं
दीपांकर देश में चाहते हैं बड़ा गठबंधन 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य कहते हैं कि गैर भाजपा पार्टियों में किसी तरह का बिखराव उनकी पार्टी के लिए ठीक नहीं है जिसने वर्ष 2020 के चुनाव में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था. उन्होंने कहा कि वह भाजपा के खिलाफ वर्ष 2024 के चुनाव में बिहार के साथ-साथ पूरे देश में बड़ा गठबंधन चाहते हैं.

भाषा इनपुट के साथ

Exit mobile version