बिहार के कजरा (लखीसराय) और पीरपैंती (भागलपुर) में थर्मल पावर प्लांट की जगह सौर पावर प्लांट लगाने के लिए 2225 एकड़ भूमि बिहार स्टेट पावर जेनेरेशन कंपनी को ट्रांसफर की जायेगी. यह भूमि बिहार खासमहाल नीति 2011 को शिथिल करते हुए कंपनी को 33 वर्षों के लिए एक रुपये प्रतिवर्ष सांकेतिक लीज पर दी जायेगी. इसको लेकर ऊर्जा विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है. भूमि का स्वामित्व ऊर्जा विभाग के पास ही रहेगा. विभाग के मुताबिक परियोजना के विकास में भूमि की लागत की छूट का लाभ राज्य के उपभोक्ताओं को सस्ते टैरिफ के रूप में प्रदान किया जा सकेगा.
राज्य सरकार की सहमति के बाद कजरा में 200 मेगावाट, जबकि पीरपैंती में 250 मेगावाट सौर पावर प्लांट लगाया जा रहा है. यह बिहार सरकार की ऊर्जा क्षेत्र में सबसे बड़ी परियोजना होगी. इससे राज्य के औद्योगिकीकरण में सहायता मिलेगी ही. केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के लिए निर्धारित रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन (आरपीओ) को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा.इस सौर परियोजना में बिजली का उत्पादन किये जाने के साथ ही बैटरी स्टोरेज भंडारण का प्रावधान भी किया जा रहा है.
इन सौर ऊर्जा परियोजना को पूरा करने के लिए 80-20 फंडिंग की जायेगी. मसलन 80 फीसदी राशि विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण के रूप में प्राप्त की जायेगी, जबकि 20 फीसदी राशि राज्य सरकार से पूंजीगत निवेश के रूप में इक्विटी स्वरूप में प्राप्त होगा. मालूम हो कि राज्य सरकार ने कजरा व पीरपैंती में भूमि का अधिग्रहण थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए किया था, लेकिन बाद में राज्य कैबिनेट ने इस जगह पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का निश्चय किया. ऊर्जा विभाग ने इसकी जिम्मेदारी बिहार स्टेट पावर जेनेरेशन कंपनी लिमिटेड को दी है.
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ऊर्जा विभाग ने बताया कि थर्मल पावर प्लांट के लिए आइडीए ने कजरा में 1204.90 एकड़, जबकि पीरपैंती में 1020.60 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी. इस पर कुल 1598.18 करोड़ रुपये व्यय किये गये. अब यह राशि ऊर्जा विभाग आइडीए को लौटायेगा. इसके लिए बजट में भी प्रावधान किया जा रहा है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan