थिएटर की महफिल से सजा है सोनपुर मेला, यहां दिल में दर्द और चेहरे पर मुस्कान लिए नाचती हैं लड़कियां
सोनपुर मेले के थिएटर में पहुंची लड़कियों के दिल में कभी कुछ कर जाने की तमन्ना हुआ करती थी. लेकिन आर्थिक मजबूरी ने उन्हें इस पेशे की तरफ धकेल दिया. कोई टीचर बनना चाहती थी तो कोई पुलिस अफसर लेकिन गरीबी और परिवार चलाने की मजबूरी ने आज उन्हें छोटे छोटे कपड़ों में नाचने को मजबूर कर दिया है.
बिहार के सोनपुर में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले की अपनी एक अलग ही पहचान है. धार्मिक मान्यताओं और ऐतिहासिक स्थल होने की वजह से हिन्दू धर्म में सोनपुर का एक विशेष महत्व है. कोरोना महामारी की वजह से दो वर्षों तक यह मेला प्रभावित रहा था. ऐसे में लंबे अंतराल के बाद लगे सोनपुर मेले में इस बार लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है सोनपुर मेला
कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू होने वाले इस सोनपुर मेले में लोग कभी जानवरों और पशुओं को देखने आया करते थे. लेकिन वक्त के साथ-साथ मेले का स्वरूप बदलता चला गया, अब लोग यहां लगने वाले थियेटर में स्टेज पर नाचने वाली लड़कियों को देखने आते हैं. हालांकि एक वक्त था जब यहां आने वाले लोगों के मनोरंजन के लिए रात में लौंडा नाच आदि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था. लेकिन अब इस कार्यक्रम का रूप डीजे के तेज धुनों और अश्लील गीत-संगीत ने ले लिया है.
मुसकुराते हुए लोगों का मनोरंजन करती है लड़कियां
सोनपुर मेले के इस थियेटर में लड़कियां मुसकुराते हुए मेले में पहुंचे लोगों का मनोरंजन करती हैं. दिल में लाखों सपने संजोए, हालात की मारी ये लड़कियां चंद पैसे कमाने के लिए छोटे छोटे कपड़ों में स्टेज पर अश्लील गानों की धुन पर डांस करने को मजबूर हैं. थियेटर में डांस करने वाली अधिकांश लड़कियों को यह पेशा मजबूरी में अपनाना पड़ा है. अपने परिवार को चलाने के लिए यह लड़कियां न चाहते हुए भी लोगों की बदतमीजी भी सहती हैं. लड़कियों को कई तरह की बदतमीजी बर्दाश्त करनी पड़ती है, अकसर स्टेज के पास से नाच देख रहे लोग इन्हें अपनी तरफ खींच कर बदतमीजी करने लगते हैं.
डांस देखने के लिए तय है रेट
स्टेज पर इन लड़कियों का डांस देखने के लिए अलग- अलग कैटेगरी में रेट तय किया हुआ है. 1200, 600 और 300 रुपये की बंटी कैटेगरी में 1200 रुपये वालों को स्टेज के बिल्कुल पास से नाच देखने को मिलता है. वहीं जैसे जैसे दाम घटता जाता है, स्टेज से दूरी बढ़ती जाती है. थियेटर में इन लड़कियों के नाच से आयोजकों को जो कमाई होती है उसमें से लड़कियों को कितना दिया जाता है यह किसी को नहीं पता.
मजबूरी ने बनाया डांसर
सोनपुर मेले में पहुंची रानी बताती हैं कि जब कोई उनके डांस की तारीफ करता है तो अच्छा महसूस होता है लेकिन इसी बीच जब कोई हाथ पकड़ लेता है या छेड़खानी करता है तो मन करता है कि भाग जाऊं और कभी वापस नहीं आऊं. लेकिन घर चलाने की ऐसी मजबूरी है कि यहां आना ही पड़ता है और नाचना भी पड़ता है. रानी पेशे से तो मॉडल हैं लेकिन घर के खर्चे पूरे करने के लिए वो स्टेज शो भी करती हैं.
छोटे-छोटे कपड़ों में नाचने को मजबूर है लड़कियां
रानी की तरह ही कई और लड़कियां भी हैं जिनके दिल में कभी कुछ कर जाने की तमन्ना हुआ करती थी. लेकिन आर्थिक मजबूरी या किसी हादसे ने उन्हें इस पेशे की तरफ धकेल दिया. कोई टीचर बनना चाहती थी तो कोई पुलिस अफसर लेकिन गरीबी और परिवार चलाने की मजबूरी ने आज उन्हें पुरी रात छोटे छोटे कपड़ों में नाचने को मजबूर कर दिया है.
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लड़कियों के साथ बदतमीजी करते हैं लोग
इस वर्ष सोनपुर मेले में दो बहनें भी पहुंची है. छोटी बहन की उम्र अभी 18 वर्ष है एयर वह 13 वर्ष की उम्र से ट्रॉली डान्सर हैं. वो कहती हैं कि ट्रॉली पर डांस करने से अच्छा यहां डांस करना है. वहीं बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, वो कहती हैं कि वो अब इस तरह नाचने का काम नहीं करना चाहती क्योंकि लोग उन्हें गंदी नजर से देखते हैं. इसी तरह सोनपुर मेले में कई और ऐसी लड़कियां पहुंची हैं जिनकी कहानी कुछ ऐसी ही है.