जानें इस बार Sonpur Mela 2020 लगेगा या नहीं, कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला
Sonpur Mela 2020, Sonpur Pashu Mela Bihar: कोरोना को देखते हुए इस साल बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर से विश्व विख्यात सोनपुर मेला को लेकर किसी तरह का आयोजन नहीं किया जा रहा है. यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं. यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है. एक माह तक चलने वाला यह मेला धार्मिक और व्यवासायिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है.
Sonpur Mela 2020, Sonpur Pashu Mela Bihar: कोरोना को देखते हुए इस साल बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर से विश्व विख्यात सोनपुर मेला को लेकर किसी तरह का आयोजन नहीं किया जा रहा है. यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं. यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है. एक माह तक चलने वाला यह मेला धार्मिक और व्यवासायिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है.
पर्यटन निगम हर साल सोनपुर में देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए कॉटेज तैयार करवाता है, लेकिन इस बार कॉटेज निर्माण के लिए टेंडर नहीं निकाला गया है. निगम के अधिकारियों ने बताया कि अगर निगम की ओर से कॉटेज का निर्माण करना होता तो अब तक टेंडर निकलने के साथ निर्माण कार्य शुरू हो जाता.
इस संबंध में पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक प्रभाकर ने बताया कि कॉटेज निर्माण या अन्य तैयारियों को लेकर पर्यटन निदेशालय की ओर से कोई आदेश नहीं है. कोरोना काल में विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला लगने या नहीं लगने को लेकर संशय बरकरार था, लेकिन नयी सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय साफ कर दिया है कि इस वर्ष कोरोना को लेकर श्रावणी मेला और गया का पितृपक्ष मेला नहीं लगा. ऐसे में हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला भी नहीं लगेगा.
कोरोना का असर : विश्व विख्यात सोनपुर मेला का नहीं होगा आयोजन
कोरोना महामारी को देखते हुए इस साल बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर से विश्व विख्यात सोनपुर मेला का आयोजन नहीं किया जा रहा है और न ही अब तक कहीं से पर्यटक सोनपुर मेला में भाग लेने पहुंच रहे हैं. पिछल वर्ष विभिन्न देशों के लगभग तीस से अधिक विदेशी पर्यटक सोनपुर मेला को देखने पहुंचे थे.
इसके अलावा हजारों की संख्या में देसी पर्यटक एशिया के सबसे बड़े पशु मेला का आनंद लेेने सोनपुर पहुंचे थे. ज्ञात हो कि सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में मेला लगता हैं. यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं. मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं. इस महीने के बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है. कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर एक माह तक चलने वाला यह मेला धार्मिक और व्यवासायिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है.
उल्लेखनीय यह है कि पर्यटन निगम हर साल सोनपुर में देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए परंपरगत और आधुनिक सुविधा से लैस कॉटेज तैयार करवाती है, लेकिन इस बार कॉटेज निर्माण के लिए टेंडर नहीं निकाला गया है. निगम के अधिकारियों ने बताया कि अगर निगम की ओर से कॉटेज का निर्माण करना होता तो अब तक टेंडर निकलने के साथ निर्माण कार्य शुरू हो जाता. कोरोना काल में विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला लगने या नहीं लगने को लेकर संशय बरकरार था, लेकिन नयी सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने साफ कर दिया है कि इस वर्ष कोरोना को लेकर श्रावणी मेला एवं गया का पितृपक्ष मेला नहीं लगा. ऐसे में हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला भी नहीं लगेगा.
मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने खरीदा था हाथी : एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे. एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था.मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (340 ईसा पूर्व -298 ईसा पूर्व), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी. सन् 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था.
Posted By: Sumit Kumar Verma