सृजन घोटाला : सुशील मोदी का ट्वीट, एनडीए सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का करती है पालन
Srijan scam in Bihar पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को ट्वीट कर कहा है कि एनडीए सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करती है. इसलिए किसी भी घोटाले का पता चलते ही सक्षम एजेंसियों से जांच कराने की सिफारिश की गयी. सृजन घोटाले में स्वयं मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और यह जांच तार्किक परिणति की ओर बढ़ रही है.
Srijan scam in Bihar पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रविवार को ट्वीट कर कहा है कि एनडीए सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करती है. इसलिए किसी भी घोटाले का पता चलते ही सक्षम एजेंसियों से जांच कराने की सिफारिश की गयी. सृजन घोटाले में स्वयं मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और यह जांच तार्किक परिणति की ओर बढ़ रही है. ओर बढ़ रही है.
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि जिन 60 लोगों पर आरोप पत्र दाखिल हुआ है, उनमें किसी को न तो जाति-धर्म, पद या राजनीतिक झुकाव के आधार पर बचाने की कोशिश नहीं की गयी, न किसी को फंसाया गया. यह विडंबना ही है कि जिस दल के स्थायी राष्ट्रीय अध्यक्ष एक हजार करोड़ के चारा घोटाले के चार मामलों में दोष सिद्ध अपराधी हैं. वही दल घोटालों की जांच पर सबसे ज्यादा छाती पीट रहा है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सभी घोटालों-अनियमितताओं की जांच एक पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया के तहत चल रही है और प्रमाण के आधार पर आरोपियों के खिलाफ शिकंजा भी कसा जा रहा है. जो लोग बेनामी संपत्ति बनाने का बिंदुवार जवाब न दे पाने के कारण सत्ता से बाहर होकर जनता के चित से उतर गए, वे दुर्भावनावश, हर जांच के नाम पर सीधे मुख्यमंत्री की गर्दन पर हाथ डालने को उतावले दिख रहे हैं. जिन्हें घोटालों के आरोप सिद्ध करने वाले प्रमाण जुटाने में अदालत का सहयोग करना चाहिए वे केवल राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं.
डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि देश की जांच एजेंसियों पर विपक्ष को तब तक भरोसा नहीं, जब तक फैसला उनके राजनीतिक हित पूरे करने लायक नहीं आता. लोकतंत्र बचाओ यात्रा की नौटंकी करने वालों को क्या देश की न्याय प्रणाली पर भरोसा नहीं है कि वे केवल छोटी मछलियों को पकड़े का आरोप लगा रहे हैं. जब बेनामी संपत्तियां रखने के मामले में बड़ी मछलियां फंसीं, तो जाल काटने के लिए राजनीति की कटारें किसने निकाल ली थीं. जवाब तीन साल बाद भी क्यों नहीं आया.